आचार्य प्रशांत आपके बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं
लेख
पाप और पुण्य क्या हैं ? || आचार्य प्रशांत, पुत्र गीता पर (2020)

निबन्धनी रज्जुरेषा या ग्रामे वसतो रतिः। छित्त्वैतां सुकृतो यान्ति नैनां छिन्दन्ति दुष्कृत:॥

ग्राम में रहने पर वहाँ के स्त्री-पुत्र आदि विषयों में जो आसक्ति होती है, यह जीव को बाँधने वाली रस्सी के समान है। पुण्यात्मा पुरुष ही इसे काटकर निकल पाते हैं। पापी पुरुष इसे नहीं काट पाते हैं।

~ पुत्रगीता, श्लोक २६

प्रसंग:

  • पुण्य क्या होता है?
  • बन्धनों को कैसे काटें?
  • पुण्यात्मा पुरुष कौन है?
  • पाप-पुण्य की परिभाषा क्या है?
  • पाप क्या है?
  • क्या बच्चा पैदा करने से पितरों को शांति मिलती है?
  • बंधन पाप क्यों है?
Have you benefited from Acharya Prashant's teachings?
Only through your contribution will this mission move forward.
Donate to spread the light
View All Articles