ना दबना है, ना झुकना है || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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ना दबना है, ना झुकना है || नीम लड्डू

ना किसी के पैसे के प्रदर्शन के आगे दबो-झुको, ना किसी के ताक़त के प्रदर्शन के आगे दबो-झुको, और किसी की अंग्रेजियत के आगे तो बिलकुल दबना-झुकना नहीं है। और किसी के सौंदर्य के आगे भी दबना-झुकना नहीं है कि सुंदर लड़की आ गयी कि हैंडसम लड़का आ गया और तुम बिलकुल कँपने लग गए, हिलने-डुलने लग गए।

जो तुम्हें अपना शरीर दिखा कर के प्रभावित करना चाहे, तुम पर हावी होना चाहे, उसका प्रतिरोध आवश्यक है। कोई साधारण तौर पर सुंदर हो तुम्हारे सामने आ जाए उसकी तो फिर भी तारीफ़ कर दो चलेगा। लेकिन अगर जान जाओ कि कोई जानबूझकर अपने सौंदर्य का प्रदर्शन करके तुमको प्रभावित करना चाहता है, तुमसे वाहवाही लेना चाहता है तो उसकी तारीफ़ तो बिलकुल नहीं करनी है। उससे तो प्रभावित बिलकुल नहीं होना है।

मैं कह रहा हूँ ये तुम्हारे लिए भी ठीक है और उसके लिए भी ठीक है।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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