वाल्मीकि के राम एक हाड़-माँस के पुरुष हैं, संसारी। वे श्रेष्ठ पुरुष हैं, धीर पुरुष हैं, वीर पुरुष हैं, पर हैं मानव ही।
तुलसीराम ने तुलसीदास होकर राम को भी निराकार से साकार कर दिया। तुलसी के राम परमब्रह्म हैं। तुलसी के राम तुलसी के हृदयपति हैं। तुलसी को राम प्यारे हैं, रामकथा प्यारी है, राम के संगी प्यारे हैं, राम के भक्त प्यारे हैं। तुलसी के लिए ये पूरा जगत राम का ही फैलाव है।
तुलसी ने जगत को जो राम दिया है, वो किसी कथा का नायक मात्र नहीं है, वो किसी भी कथा से बहुत आगे का है। वो जैसे श्रेष्ठतम की मानवीय अभिव्यक्ति है, जैसे निर्गुण सगुण होकर उतर आया हो।
और रामायण जितनी प्रसिद्ध और प्रचलित कभी न हुई थी, उतनी रामचरितमानस हुई। विश्व के सौ सबसे प्रभावशाली और सुप्रसिद्ध काव्यग्रंथों में मानस का स्थान प्रथम पचास में आता है।
कौन हैं तुलसी के राम?
जानिए आचार्य प्रशांत के साथ हुए संवादों के माध्यम से।
वाल्मीकि के राम एक हाड़-माँस के पुरुष हैं, संसारी। वे श्रेष्ठ पुरुष हैं, धीर पुरुष हैं, वीर पुरुष हैं, पर हैं मानव ही।
तुलसीराम ने तुलसीदास होकर राम को...