समाज ने हमेशा स्त्री को कमज़ोर समझा है। रूढ़िवादी विचारधारा ने स्त्री को हमेशा घर में रहने की सलाह दी है। जब देश-दुनिया ने तरक्की करी और आम आदमी के हाथ संसाधन आए तो स्त्रियों को भी बाहर निकलने का और अपने विकास का मौका तो मिला, पर उनको बता दिया गया कि कोमलता, सुंदरता, और लज्जा उनका आभूषण है।
दुनिया में बाहर निकल कर काम करना, सामाजिक उद्योगों में भाग लेना, यह सब आज भी अधिकतर महिलाओं के लिए सपना ही है। और जिन महिलाओं को ऐसे अवसर प्राप्त भी हुए हैं, उनकों भी सदियों पुरानी कमज़ोरी ने मानसिक रूप से जकड़ा हुआ है।
यह कोर्स एक कोशिश है आज की स्त्री को उसकी असली ताकत और असली संभावना याद दिलाने की।
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