परिवार, दफ़्तर और दोस्तों के बीच अपनी उपस्थिति की रसहीनता और कमज़ोरी का एहसास होता है?
दिल कहता है ना कि "काश, मेरी उपस्थिति में भी एक हमेशा बना रहने वाला आकर्षण हो, तेज हो?"
ये रसहीनता और तेज की कमी इसलिए है क्योंकि हम कहीं-न-कहीं अपने जीवन के यथार्थ से मुँह चुराते हैं। संघर्ष, चोट, दुःख, और मेहनत से बचने की कोशिश करने लगते हैं। ऐसा जीवन, कोई जीवन नहीं है। ऐसा व्यक्तित्व 'शानदार' नहीं है।
आचार्य प्रशांत के साथ इस आसान वीडियो कोर्स के माध्यम से स्वयं को अंदर से मज़बूत बनाएंँ, एक शानदार व्यक्तित्व पाएंँ।
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