अच्छे से पढ़ने का अर्थ यदि सिर्फ परीक्षा में अंक लाना है, तो ऐसे में पूरे साल मन पर बुरे अंक आने का डर बना रहे तो इसमें कुछ आश्चर्य की बात नहीं है। यदि इंजीनियरिंग के चार साल सिर्फ़ आख़िरी सेमेस्टर के प्लेसमेंट के लिए हैं तो यदि पूरे चार साल मन इधर-उधर भटकता रहे और दुविधा में फंसा रहे तो इसमें कुछ आश्चर्य की बात नहीं है।
आश्चर्य इसलिए नहीं क्योंकि यदि किताबों के पास हर बार आप इसलिए ही गए कि उनका इस्तेमाल कर कुछ हासिल कर लेंगे तो आप कभी पढ़ाई से प्रेम नहीं कर पाएँगे और जहाँ प्रेम नहीं, वहाँ डर होगा ही। किताबों के साथ डर का और बोरियत का ही रिश्ता हो ऐसा ज़रूरी नहीं है।
आचार्य प्रशांत के साथ इस आसान वीडियो कोर्स के माध्यम से पाएँ पढ़ाई की ओर एक नया नज़रिया और परीक्षाओं की तैयारी, कैरियर के चुनाव जैसे मुद्दों पर स्पष्टता।
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