भारत में दर्शन का बड़ा सुन्दर अर्थ रहा है। दुनिया भर में दर्शन का अर्थ होता है इन्द्रियों से देखना और भारत में दर्शन का अर्थ होता है इन्द्रियातीत ज्ञान। दुनिया ने दर्शन को इन्द्रियों से जोड़ा, भारत ने दर्शन को इन्द्रियों से आगे रख दिया है। कुछ ऐसा जान लेना जो इन्द्रियों से नहीं जाना जा सकता, उसको दर्शन कहते हैं। तो तीन अर्थ होते हैं दर्शन के भारत में, ‘एक तो फ़िलॉसफ़ी। दूसरा, मन्दिर में जाते हो तो आप कहते हो आज दर्शन करके आ गये भगवान के। और तीसरा होता है सत्य।
सत्य से हम कहते हैं, ‘मैं तो हूँ ही और इस पर हम कोई बहस-झगड़ा नहीं करेंगे, कोई विवाद नहीं।' और इस पर बात करनी है तो वापस जाओ, वापस जाओ, 'मैं तो हूँ ही, अब तुम बताओ तुम कौन हो?’
इसलिए दुनिया भर में दर्शन का उद्देश्य रहा है नोइंग द ट्रुथ (सत्य को जानना) और भारत में दर्शन का उद्देश्य रहा है मुक्ति माने फ़्रीडम फ़्रॉम द सेल्फ़ (स्वयं से मुक्ति)।
क्या कहा भजन किस बारे में है?
यह आप राम जी से पूछें वह ही हैं जो ताप बुझाएंगे। वह ही है जो आपको मुक्त कराएंगे। जानिए और मुक्त हो जाएं।
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