जेन के इतिहास में एक संत हुए जिन्हें हस्ते हुए बुद्ध के नाम से जाना गया। उन्हें अपने पीछे शिष्यों की भीड़ लगाने का कोई इरादा नहीं था, न ही वे खुद को जेन गुरु कहलवाने की इच्छा थी।
तभी एक ज़ेन गुरु उनके साथ हो लिए, और चलते-चलते उनसे पूछा, “ज़ेन का क्या महत्व है ? उन्होंने जबाब देते हुए अपना थैला नीचे ज़मीन पर छोड़ दिया।
और चुपचाप खड़े हो गए तो ज़ेन गुरु ने "फिर पूछा, "ज़ेन की वास्तविकता क्या है?” इस पर उन्होंने झटके से अपना थैला कंधे पर उठाया, और अपने रास्ते पर वापस चलने लगे।
फिर आगे क्या हुआ आचार्य प्रशांत के साथ हम जानेंगे ज़ेन कथाओं का मर्म इस सरल कोर्स मे।
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