ट्रैफिक जाम में जब आप फँसते हैं तो देखा है कैसे गाड़ियों से निकलता धुआं और बढ़ता हुआ तापमान हमें बेचैन कर देता है। टेक्नोलॉजी की मानें तो इस बेचैनी का इलाज ग्रीन एनर्जी से कर सकते हैं और इसके जनक यह मानते हैं कि यह आपको जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दे का समाधान भी दे सकती है। यह वीडियो सीरीज इन सारे मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा करेगी।
मगर उससे पहले जरा सोचिए:
टेक्नोलॉजी गाड़ियों के इंजन की एफ़िशिएंसी (क्षमता) बढ़ा देगी, तो वही टेक्नोलॉजी आपके हाथ में एक की जगह चालीस गाड़ियाँ भी तो रख देगी।
अगर टेक्नोलॉजी ऐसे हाथों में है जिनका मन अभी भोग और लालच से मुक्त नहीं है, तो क्या हर प्रकार का टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट आत्मघातक नहीं होगा?
लोग भोग की इच्छा कम नहीं करना चाहते, बल्कि समस्या हल करने के लिए "ग्रीन टेक्नोलॉजी" जैसी नई तकनीकें लाते हैं। इससे प्रति वस्तु प्रदूषण तो कम होता है, पर वस्तुओं (कारों आदि) की संख्या इतनी बढ़ जाती है कि कुल प्रदूषण पहले से कहीं अधिक हो जाता है। इसे ही वे "सस्टेनेबल डेवलपमेंट" मानकर खुद को धोखा देते हैं।
यह समझना होगा और जल्दी सावधान होना होगा कि पर्यावरण की समस्याओं का मुख्य कारण इंसान की लालच, हवस और उपभोग की प्रवृत्ति है, जिसका हल किसी टेक्नोलॉजी या विज्ञान के पास नहीं है। असली समाधान आत्मज्ञान और आत्मचिंतन है, लेकिन शिक्षा में इसका अभाव है। आधुनिक शिक्षा अधूरी है; यह आधा ज्ञान देती है जो और भी घातक सिद्ध हो रहा है। आज दुनिया में जो जलवायु संकट, प्रजातियों का विलुप्त होना और संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है, वह अनपढ़ों ने नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे और सम्पन्न वर्ग ने किया है।
बिना आध्यात्मिक और आत्म-ज्ञान के, ऐसी शिक्षा समाज को विनाश की ओर ले जा रही है।
क्या यह संकट रुकेगा? रुकेगा तब जब मूल संकट पहचानेंगे। अध्यात्म कहता है मूल संकट है आदमी के भीतर बैठी हुई भ्रामक धारणा कि भोग-भोगकर के खुश हुआ जा सकता है। मगर चूंकि हमें अपना कुछ पता नहीं है, हम यह गलती लगातार किए जा रहे हैं और इसे रोकना जरूरी है क्योंकि प्रकृति का रोष हम सब पर टूटेगा, गलती चाहे किसी की भी हो।
हम इसे रोक सकते हैं: इस पूरी सीरीज़ को और लोगों तक साझा करें। समय कम है और काम अधिक है। मत भूलिए हमारे पास यह आखिरी मौका है।
Can’t find the answer you’re looking for? Reach out to our support team.