पिछली वीडियो सीरीज़ में हमने समझा था मृत्यु का राज़। आशा करते हैं आपको सीरीज़ से लाभ हुआ होगा। बहुत सारे प्रश्नों के जवाब पहली वीडियो सीरीज़ में आपको मिले होंगे।
जैसे:
जीवन मरण का चक्र क्या है? मरने के बाद हमारा क्या होगा? पुनर्जन्म क्या है?
अगर आपने पिछली वीडियो सीरीज़ नहीं देखी तो पहले वह ज़रूर देखें और जिन्होंने देख ली है वह इस वीडियो सीरीज़ में आगे बढ़ सकते हैं।
इस सीरीज़ में हम बात करेंगे 'भय’ के बारे में।
मृत्यु का भय।
एक बार सोच के देखिए कि भय मनुष्य को प्रकृति से क्यों मिला है? प्रकृति से भय इसलिए मिल है ताकि वह अपनी जान बचा सके। आखिर आए तो हम जंगल से ही हैं और जंगल माने जंगली जानवरों का घर। तो मृत्यु का भय जरूरी है खुद को जंगली जानवरों से बचाने के लिए।
मगर अब तो हम जंगल से बाहर आ गए हैं। शेर, चीता, जंगली जानवर अब हमारा शिकार नहीं करते मगर क्यों फिर भी हम इतने डरे डरे रहते हैं?
Depression और Anxiety की दवाइयाँ जितना इंसान खाते हैं क्या आपने किसी और पशु को यह करते हुए देखा है?
आखिर किसका डर हमें सताता है? कौन है जो भीतर मन पर इतना पकड़ के बैठे गया है कि लगता है मृत्यु अब हुई कि तब हुई?
निश्चित है कि जंगल से हम बाहर तो आ गए हैं लेकिन भीतर हमारे जंगल अभी भी बैठा हुआ है। और दुगने आवेग से वह हमारे मन पर कब्ज़ा करते जा रहा है।
रिश्तों में भय, समाज में भय, प्रतिष्ठा खो जाने का भय, क्या यह मृत्यु संतुल्य नहीं लगते?
यह वीडियो सीरीज़ इन्हीं मुद्दों पर बात करेगा।
श्रद्धा रखिए ,और अपने भय को समझने के लिए एक और कदम आगे बढाईए। इस वीडियो सीरीज़ के माध्यम से आचार्य प्रशांत ने मृत्यु से भय के मुद्दे पर गहराई से समझाया है। जानिए, समझिए और इसे और लोगों तक भी पहुंचाइये।
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