आपसे हमारे कुछ प्रश्न हैं:
क्या आपको लगता है कि धर्म मनुष्य और मनुष्य में भेद करना सिखाता है?
क्या आपको लगता है कि धर्म महिलाओं और तथाकथित समाज में मौजूद नीची जाति असम्मान करता है?
यह सब जानकर आपको भी सनातन धर्म से खीज उठती है?
अगर इन प्रश्नों का जवाब हाँ में हैं तो हमारी आपसे विनती है कि इस वीडियो सीरीज़ को आरंभ से जरूर देखें।
हम जिस वेदान्त की बात कर रहे हैं उसमें जातिवाद के लिए कोई स्थान नहीं। ‘मुक्तिका उपनिषद्’ है, वो एक-सौ-आठ उपनिषदों की सूची देती है। वो एक-सौ-आठ उपनिषद् प्रामाणिक हैं, उनमें नाम आता है, ‘वज्रसूची उपनिषद्। वो छोटा सा उपनिषद् है, वो समर्पित ही इस बात पर है कि
जाति झूठ है, झूठ है, झूठ है।
वज्रसूची उपनिषद् कहता है, ‘जाति क्या है? कल्पना।’ कल्पना मात्र है, मिथ्या है जाति। ऋषियों ने सिखाया है कि जाति से बड़ा झूठ दूसरा नहीं है।
ये बोलता है वेदान्त। ये वेदान्त का धर्म है।
जनता ने अपना झूठा धर्म चला रखा है, इसमें वेदान्त की क्या गलती!
जो वैदिक धर्म है, जिसका दर्शन वेदान्त है, उसमें आपको बस एक चेतना जाना गया है, और मुक्ति का अर्थ है ― चेतना की छटपटाहट को दूर करना।
जाति मुद्दे पर पूरी जानकारी के लिए इस वीडियो सीरीज़ को देखें और लाभ उठाएं। आप इसे स्वजनों में भी साझा कर सकते हैं।
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