अगर आप पुरुष हैं, तो आपसे एक सवाल:
मान लीजिए आपको जेंडर चुनने की आज़ादी दे दी जाए, तो क्या आप महिला बनना पसंद करेंगे?
और अगर आप महिला हैं, तो आपसे भी एक सवाल:
जैसी हालत आप महिलाओं की देख रही हैं, क्या आप फिर भी महिला बने रहना पसंद करेंगी?
गहराई से सोचेंगे, तो दोनों का उत्तर आप पाएंगे: नकारात्मक, यानी ‘न' में आएगा।
यह उत्तर ही हमें बता देता है कि महिलाओं की स्थिति इस देश में बेहद गंभीर और चिंताजनक है, और इस स्थिति के उत्तरदायी महिला और पुरुष दोनों बराबर के हैं।
कैसे? जानते हैं:
पुरुष, जो स्त्री को भोग की वस्तु समझता है, वह अपने केंद्र में स्त्री को भोगने की कामना रखता है।
स्त्री, जो अपने आप को मात्र स्त्री मान बैठी है, वह अपने केंद्र में अपनी स्त्री पहचान बनाए रखती है।
और इस तरीके से शोषण और शोषक का खेल चलता जाता है।
फ़िर समाधान कहाँ है ?
समाधान है वेदांत।
वेदांत सीधे-सीधे आप से सवाल पूछता है:
यह जो भी मैंने अपने केंद्र में बिठा लिया है, मेरा उससे रिश्ता क्या है?
क्या मेरा रिश्ता उससे प्रेम का है?
या बस मेरे रिश्ते की बुनियाद डर, सामाजिक लेन-देन, और लालच पर खड़ी है?
वेदांत कहता है, "स्त्री नहीं, चेतना हो तुम। वह चेतना जो सोच सकती है, समझ सकती है, और मुक्त है, वह हो तुम।"
वेदांत महिला को उसकी आवाज़ वापस लौटाता है।
वेदांत महिला को महिला से ज़्यादा मनुष्य बनाता है।
वेदांत सिखाता है कि संसार से सही रिश्ता रखना है तो अपने प्रति संघर्ष करना होगा।
वेदांत समझाता है, ‘’अगर अपनी हस्ती, अपने डर को चुनौती देनी है, तो ताकत विकसित करनी होगी और अपनी रोटी खुद कमाना सीखना होगा।’’
यह वीडियो सीरीज़ आपको आपकी सही पहचान वापस लौटाने के लिए है। आचार्य जी ने इस वीडियो सीरीज़ में महिलाओं के प्रति हो रहे सामाजिक भेदभाव, आर्थिक तंगी, और आध्यात्मिक तरक्की पर बातचीत की है। आशा करते हैं कि आप इस मुद्दे को समझेंगे और इसे औरों तक भी लेकर जाएंगे।
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