कोई हमे बुरा न बोल दे, कोई हमें कड़वा न बोल दे।
कहीं मेरी इज्जत न चली जाए।
कुछ नया सीखने में लोग हँसी न बनाएं।
आजकल का युवावर्ग हर छोटी छोटी बात पर संघर्ष करने से, कुछ नया सीखने से डरता है। हर जवान लड़के-लड़की की आँखों में अब वो तेज नहीं जो कहे कि— ‘हल्का मत समझ लेना हमको, छोटी बात पर हम ध्यान देते नहीं, छोटे मुद्दों में हम उलझते नहीं और सही लड़ाई से हम पीछे हट नहीं सकते।’
समझिए—
भारत में जब तक लड़ने, जूझने और संघर्ष को धर्म नहीं जाना जाएगा तब तक भारत जग नहीं पाएगा। और यहाँ बात गली-मोहल्ले वाली लड़ाई की बात नहीं हो रही है। कुरुक्षेत्र वाली लड़ाई की बात हो रही है— महायुद्ध, धर्मयुद्ध, अपने ही विरुद्ध युद्ध — किसी पराये को नहीं मारना है; अपनेआप को मारना है।
भारत में भी महानता आ सके, उत्कृष्टता आ सके, वो एक्सिलेन्स आ सके, उसके लिए भारत की रगों में संघर्ष को बहना होगा।
'युध्यस्व’!
अध्यात्म का काम है सच्चाई को, निर्भीकता को, सुन्दरता को आगे बढ़ाना। निर्भीक, सुंदर और सच का चेहरा आपके पास भी है, बस यह कोर्स मदद करेगा डर का मुखौटा हटाने में।
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