अगर हम आपसे पूछें कि: क्या आप ठाठ से नहीं जीना नहीं चाहते? क्या आप जीवन में खुलकर खेलने नहीं चाहते? क्या आप ऐसे नहीं जीना चाहते जैसे हर पल आखरी हो?
अगर इन तीनों प्रश्नों का जवाब हाँ है तो जान लीजिए आप भी बेधड़क बिंदास और बेझिझक जीने के हकदार हैं।
ऐसी बेपरवाही आपको जी उठने को मजबूर कर देगी क्योंकि डर में इंसान जीना छोड़ देता है। खुद सोचिए, जो आदमी डरा होगा वह अपनी सुरक्षा का इंतजाम करेगा या आनंद का। जिसको मृत्यु का डर नहीं अब वह अमर हो गया।
मगर ये अमरता का राज़ जाना कैसे जाए?
उत्तर सीधा है जिंदगी को देखकर।
जिंदगी मृत्यु का आपको बार-बार स्मरण कराती है पर क्या आप देख पाते हैं? बालों का पकना दांतों का हिलना आंखों की रोशनी जाना यह लगातार हमें मृत्यु का स्मरण कर रही है अब ऐसे में अगर आप जिंदगी के प्रति संवेदनशील नहीं होंगे तो कैसे जानेंगे की छोटी सी जिंदगी का करना क्या है।
इसलिए आपका हर एक पल कीमती है बहुत ध्यान से देखिए कि आप अपना एक-एक पल कहां बिता रहे हैं किसकी संगति में बिता रहे हैं क्योंकि मौत जब आए तो यह अफसोस नहीं रह जाना चाहिए की जिए बिन मर गए।
जो स्वजन हमें छोड़कर चले जाते हैं उनके जाने में बड़े से बड़ा दुख पता है क्या होता है बहुत कुछ हो सकता था जो हुआ नहीं। सब आधा अधूरा रह गया है, अधूरा मत छोड़िए।
आध्यात्मिक साधना कुछ और नहीं है मृत्यु का निरंतर स्मरण है। मृत्यु समान कोई मुक्तिदाता नहीं होता। जागो काम करो उसी में मौज है उसी में उत्सव है।
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