कृष्ण ने निष्काम कर्म को कभी संख्या योग के माध्यम से, कभी यज्ञ के माध्यम से और कभी आत्म और अहंकार में भेद बताकर अर्जुन को बार बार समझाया है कि निष्काम हो के युद्ध करो। आत्मा के अतिरिक्त कोई और चुनाव कर न लेना। कामना पर नहीं आत्मा पर चलो अर्जुन।
अर्जुन को तो अर्जुन से ही लड़ना था। अर्जुन को लड़ना था अपने मोह से, भय से, और यह आंतरिक लड़ाई की जीत संभव न हो पाती अगर श्री कृष्ण साथ न होते। आपके भी मन में यह सवाल तो आता होगा कि सही काम कैसे चुनें? कृष्ण ने तो मानों आपकी सुन ली है और इसका उत्तर श्लोक 35 से 39 तक में दिया है। आचार्य प्रशांत संग जानेंगे गीता के श्लोकों का मर्म।
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