भाई, जिसकी लाठी उसकी भैंस।
संसार तो ताकत पर चलता है, दुनिया में सिर्फ जंगल राज चलता है।
भाई, ऐसी नौकरी कर जिसमें पद और पैसे का नशा हो।
ऐसे वक्तव्य तो आपने बहुत सुने होंगे और सुनते ही संसार के खिलाफ़ युद्ध छेड़ देने का मन करता है।
जरा सोचिए– क्या वाकई लाठी हासिल कर लेने से और भैंस मिल जाने से बेचैनी खत्म हो जाती है? राजा बनने का अनुभव भी खूब लिया ही होगा तो क्या जंगल राज का राजा बनकर आप भीतर से शांत हो जाते हैं? क्या पद और प्रतिष्ठा छिन जाने पर आपका चेहरा उतना ही निर्मल और शांत होता है?
बाहरी संघर्ष करने से पहले समझिए, दूसरों के ख़िलाफ़ लड़ना कहीं ज़्यादा आसान है अपने ख़िलाफ़ लड़ने से। दूसरों को कुछ सिद्ध कर देना, जता देना, साबित कर देना कहीं ज़्यादा आसान है अपनी ही साक्षी दृष्टि के सामने अपनी सत्यता प्रमाणित करने से। दूसरों को तो बहुत होता है न, कि जता आते हो कि हम बड़े आदमी हैं, हम बड़े सच्चे आदमी हैं, हम बेहतर, बढ़िया आदमी हैं। ये आसान है। ख़ुद को ये प्रमाणित करो तो जानें।
अध्यात्म है एक युद्ध, अपने विरुद्ध। यह कोर्स आपको संघर्ष के दांव पेंच सिखाएगा। देर न करें और सही चुनाव करें।
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