
उड़ जाएगा हंस अकेला जग दर्शन का मेला
जग माने जगत, संसार। जगत में जितने भी तत्व हैं, जितने भी विषय हैं, जो भी आपको दिखाई पड़ रहे हैं वह सदा परिवर्तनशील हैं। बदलाव लगातार हो रहा है लेकिन हमारी इंद्रियाँ इतनी सूक्ष्म नहीं कि छोटे छोटे बदलाव को पकड़ पाएँ।
वेदांत में दर्शन से आशय है यह साफ़ साफ़ देख लेना कि जगत को देखने वाला कौन है क्योंकि जीना आपको इसी दुनिया में हैं। वेदांत आपको जगत की अनित्यता और झूठे सहारे को काटने में मदद करता है। वह बताता है कि जगत को सत्य समझोगे तो धोख़ा खाओगे, दुख पाओगे।
आगे भजन में बहुत प्रेम से कबीर साहब इस संसार का तथ्य आपके सामने रखेंगे। कभी पेड़ की टूटी हुई पत्ती से आपको प्रकृति का खेल संझाएंगे, कभी बहती हुई हवा का उदाहरण लेकर कुछ समझाएंगे, कभी आपको यमराज के चंगुल से बचाएंगे, कभी मृत्यु का पूरा रहस्य आपके सामने खोल के रख देंगे।
भजन के माध्यम से ही साहब आपको दर्शन, श्रवण और आत्मज्ञान भी सिखा देंगे। अब आपकी बारी है भजन की शुरुआत करें। बाकी आश्वस्त रहिए, भजन समाप्त होते होते आपके भीतर भी कुछ है जो समाप्त हो जाएगा। समझिए, जानिए, और सीखिए कबीर साहब के भजन को आचार्य प्रशांत संग – उड़ जाएगा हंस अकेला।
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