ज्ञान जैसी पवित्रता देता है, जैसा आपको वो साफ़-शुद्ध करता है, वैसा कोई और नहीं कर सकता। तो सर्वोच्च तो ज्ञान ही है। सब मार्गों को कृष्ण ने सम्मान दिया है, सबको कहते हैं 'सब यज्ञ हैं' लेकिन सब मार्गों, सब यज्ञों में सर्वश्रेष्ठ है ज्ञान ज्ञान के बिना कोई लाभ नहीं होगा। बाकी सब मार्गों पर चलते रहोगे, कुछ लाभ होगा, कुछ दूर तक जाओगे, अटक जाओगे। मुक्ति, अंतिम मुक्ति तो ज्ञान से ही मिलेगी कृष्ण का वक्तव्य है।
37 वें श्लोक में कहते हैं कि ज्ञान अग्नि की तरह होता है जो सब कर्मो को जला देता है। ज्ञान के बिना कर्मयोग हो ही नहीं सकता क्योंकि कर्मयोग का अर्थ ही है निष्काम कर्मयोग। कर्मयोग का अर्थ सकाम कर्मयोग होता है क्या? कर्मयोग माने क्या? सकाम कर्मयोग? कर्मयोग माने? निष्काम कर्म।
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