परिचय
ताओ ते चिंग का जो पहला सूत्र है, उसके अन्तिम भाग को बहुत ध्यान से समझना ज़रूरी है। एक है जिसको लाओत्ज़ू कह रहे हैं मिस्ट्री (रहस्य), एक है जिसको कह रहे हैं अभिव्यक्ति, मेनिफ़ेस्टेशन या प्रकृति।
हमारा मन ऐसा है जो प्रकृति में कभी चैन नहीं पाता। साधारण भाषा में कहें तो मन को कितना भी सामग्री से भी लो वह आपको चैन तक नहीं ले जाती। जैसे हमने रिश्ता ही बना लिया है तनाव के साथ।
‘मैं’ और तनाव सदा एकसाथ चलते हैं। तनाव हटाने के लिए भी जो कुछ जीवन में आता है, उसको बचाना बहुत बड़ा तनाव बन जाता है। और तनाव हटाने का वादा लेकर जो जीवन में आएगा, वो जीवन में और बड़ा मूल्य पा जाएगा। जिस वस्तु का जीवन में जितना बड़ा मूल्य हो जाएगा, उसको बचाना उतना बड़ा तनाव हो जाएगा। तो जो कुछ तनाव हटाने के लिए आपके जीवन में आएगा या कम-से-कम आपको ऐसा वादा देगा या प्रलोभन देगा कि मेरे आने से तुम्हें चैन मिलेगा, आनन्द मिलेगा, तृप्ति मिलेगी, उसका आना अपनेआप में बहुत बड़ी बेचैनी हो जाएगा, बहुत बड़ी।
बेचैनी से बचने का एक तरीका है : सीधे उनके पास चले आईए जो जीवन की गहरी समझ रखते हैं। लाओत्ज़ू वह हैं जो जीवन के राज़ परत दर परत आपके सामने खोलेंगे।
Can’t find the answer you’re looking for? Reach out to our support team.