आम आदमी की पूरी ज़िन्दगी देख लीजिए। ऊपर-ऊपर से लगेगा कि अभी हम पढ़ाई कर रहे हैं, अब हम ब्याह कर रहे हैं, अब हम व्यापार कर रहे हैं, अब हम घर बना रहे हैं, अब हम तरक्की कर रहे हैं, अब हम बच्चे पाल-पोस रहे हैं। ऊपर-ऊपर से लगेगा ये सब कारोबार चल रहा है; भीतर-ही-भीतर वास्तव में बस एक काम चल रहा है लगातार, क्या?
किसी तरीक़े से दुख से पीछा छुड़ाने की कोशिश।
तब क्या करें? ज़िम्मेदारी छोड़ दें? काम करना छोड़ दें? व्यापार करना छोड़ दें?
जो एक चीज़ अद्वैत माँगता है, वो है 'ईमानदारी'। क्योंकि ख़ुद से ही सवाल करने हैं और ईमानदारी नहीं है तो कुछ भी उल्टा-पुल्टा जवाब दे लीजिएगा। यह कोर्स उनके लिए है जो दुख से मुक्ति तो चाहते ही हैं लेकिन सुख के पीछे भागने से भी मुक्ति चाहते हैं। ‘इमानदारी’ से दोनों चाहना हमें सीखना होगा।
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