कोई आदमी हो उसको आप देखें, वो स्वादिष्ट खाना खा रहा है, उस समय उसकी आप शक्ल देखें, आपको वहाँ तनाव नहीं दिखाई देगा। आप पाएँगे उसका तनाव शिथिल हो गया है। ऐसे ही अन्य उदाहरण आपको मिल जाएंगे, मनोरंजन के रूप में, नींद के रूप में संगीत के रूप में। जो आपको नकली नींद यानी बेहोशी की तरफ ले जाते हैं। वृत्ति को शांत कर देना आसान नहीं है लेकिन इसे संसाधन की तरह प्रयोग कर सकते हैं।
समझ देख मन मीत पियरवा आशिक होकर सोना क्या रे।
यह गाएँ, संतों के भजन को अपना मानिए। ख़ुद से बात करना सीखें। थोड़ा कभी प्यार से, कभी थोड़ी मीठी झिड़की दे दी। करना कुछ है, करने कुछ और जा रहे हैं। ‘क्या यार! आशिक़ होकर सोना क्या रे!’ आप पाएँगे ये काम करता है। सूत्र उपयोगी है। आशिक़ होकर सोना क्या रे? अपनेआप बैठ जाएँगे।
यह कोर्स उनके लिए है जो प्रमाद और अवसाद के शिकार हैं। और उनके लिए भी है जिनको भजन गुनगुना पसंद है। कबीर साहब आपको संगीतकार और योद्धा दोनों बना देंगे।
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