content home
Login

प्रकृति को पराया जानो अर्जुन

Thumbnail
AP Name Logo
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 5 श्लोक 8-9 पर आधारित
Watch Complete Series
2 घंटे 52 मिनट
हिन्दी
विशिष्ठ वीडिओज़
पठन सामग्री
आजीवन वैधता
Contribution: ₹199 ₹500
ENROL
ADD TO CART
Already Registered?
Login
Apply for Scholarship
Share this Video Series
परिचय
लाभ
संरचना

प्रकृति को भ्रष्ट क्या करता है? पुरुष का कुसंग। 'मैं' भाव जिन क्रियाओं के साथ जुड़ जाता है उनको विकृत कर देता है। श्रीकृष्ण के दर्शन में वस्तुओं की भर्त्सना नहीं है। कर्म के सिद्धांत नहीं है। श्रीकृष्ण कहते हैं वस्तुओं के साथ तुम जो कामना, जो अज्ञान लाए हो वह पराई है। और परायपन में जीना ही पाप है।
तुमने अपना हाथ चीजों में नहीं डाल रखा है तुमने अपना हाथ अज्ञान में डाल रखा है। अज्ञान से हाथ पीछे खींचो, चीज़ तो एक समान ही है।

आदमी अज्ञान नहीं त्यागता, वह मैं भाव नहीं त्यागता। दुख प्रकृति में नहीं है, दुख प्रकृति से गलत संबंध बनाने में है।

अंदर भी प्रकृति और बाहर भी प्रकृति तो संबंध सही रखें कैसे? कैसे खुद को योग की दिशा में ले जाएंँ?

ऐसे बहुत से प्रश्नों का हल जानेंगे इस सरल से कोर्स में।

FAQs

Can’t find the answer you’re looking for? Reach out to our support team.

कोई भी वीडियो श्रृंखला आचार्य प्रशांत के यूट्यूब वीडियो से कैसे अलग है?
क्या ये लाइव वीडियो हैं या इसमें पहले से रिकॉर्डेड वीडियो हैं?
वीडियो श्रृंखला के लिए सहयोग राशि क्यों रखी गयी है? यह निःशुल्क क्यों नहीं है?
सहयोग राशि से अधिक दान देने से मुझे क्या लाभ होगा?
वीडियो श्रृंखला की रजिस्ट्रेशन की प्रकिया के बाद मैं उसे कब तक देख सकता हूँ?
क्या वीडियो श्रृंखला के वीडियो को बार-बार देखने की सुविधा उपलब्ध है?
मुझे वीडियो श्रृंखला से बहुत लाभ हुआ, अब मैं संस्था की कैसे सहायता कर सकता हूँ?
Read 130+ eBooks in App