आपने वह कहावत सुनी है जैसा तन वैसा मन। आज इस कहावत को हम उलट कर भी समझेंगे की जैसा मन वैसा तन। जानिए, तन माने सिर्फ़ शरीर नहीं तन माने वह सब कुछ जो मानसिक या भौतिक रूप से हमारे सामने कभी विचार और कर्म के रूप में प्रकट हो जाता है।
मगर यह सब समझाने की जरूरत क्या है?
बात बड़ी सीधी है: फीमेल लेबर पार्टिसिपेशन रेश्यो भारत में 8.8 प्रतिशत का है जो कि बहुत कम है। चाहे आप घरेलू महिला हों या कामकाजी हों, आपके कर्म के चुनाव की गुणवत्ता आपकी चेतना की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है।
आपको पता ही नहीं होता कि सड़क पर निकलना किसको कहते हैं, दफ़्तर की चुनौती और प्रतिस्पर्धा से निपटना किसको कहते हैं, बाज़ार में जाकर के, श्रम करके और चुनौतियाँ झेलकर के अपने माल को बेचना या अपने ब्रैंड को स्थापित करना जूझकर के, ये सब क्या होता है, महिलाओं को ये सब पता ही नहीं चलता। वो एक अपने छोटे से घोंसले में क़ैद रह जाती हैं और इसी वजह से दुर्बल रह जाती हैं।
हम जानते हैं कि ये सारी बातें आपको भी पता हैं। तो फ़िर ये वीडियो सीरीज़ किस लिए है?
यह उनके लिए है जो काम के महत्व को समझ पाएं। इस वीडियो सीरीज़ को हर उस महिला के एकाउंट में उपलब्ध करा दीजिए जिन्हें ऊपर उड़ने का पूरा हक है। और आप अगर एक स्वयं कामकाजी महिला हैं तो अपने तर्को को और धार दीजिए आचार्य प्रशांत के साथ इस मुद्दे पर।
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