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आत्मा की ओर बढ़ो अर्जुन

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श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 श्लोक 15–24 पर आधारित
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1 घंटा 54 मिनट
हिन्दी
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पठन सामग्री
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परिचय
लाभ
संरचना

आचार्य जी ने पिछले ही श्लोकों के संदर्भ में बताया था कि तीन का ही खेल होता है– अहम, आत्मा और प्रकृति। आप देख रहे हैं कि पिछले श्लोकों में लगभग अर्जुन ने तो श्रीकृष्ण को अज्ञानी ठहरा ही दिया और स्वयं भी मोहग्रस्त होकर युद्ध करने से पीछे हट रहे हैं।

तो अहम की भलाई या अर्जुन की भलाई किसमें है?

‘अहम् हो तुम अर्जुन और तुम्हारी भलाई इसी में है कि आत्मा की ओर बढ़ो। हर जीव जो अपने-आपको अहम् समझता है उसकी भी भलाई इसी में है कि आत्मा की ओर बढ़े। लेकिन आत्मा की ओर बढ़ने, सच्चाई की ओर बढ़ने से रोकने वाली शक्ति जगत में मौजूद है और इस समय तुम्हारे सामने उस शक्ति का नाम है ‘कौरव-सेना’। इसलिए तुम्हें लड़ना होगा कौरव सेना से’, अन्यथा कोई कारण नहीं था।

अब ये आत्मा बला क्या है? क्या आप जानना नहीं चाहेंगे कि कृष्ण इसे अविनाशी क्यों कह रहे हैं? और क्यों शरीर के मारे जाने पर आत्मा नहीं मारी जाती?

क्या इसका मतलब पुनर्जन्म होता है? क्या मारे जाने पर आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में जाति है?

सब प्रश्नों के भेद खुलेंगे आचार्य प्रशांत संग इस सरल से कोर्स में।

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