आपको पता है मन काम कैसे करता है?
मन अतीत में जीना चाहता है या एक भविष्य ख़ड़ा करता है, और अतीत और भविष्य दोनों ही वर्तमान नहीं हैं। जीवन हमेशा वर्तमान में होता है। जीवन हमेशा वर्तमान में है। मन हमेशा कहाँ है? अतीत में।
हो वर्तमान में, साँस वर्तमान में ले रहे हो, समझ वर्तमान में रहे हो और मन बैठा हुआ है स्मृतियों में। मन उन्हीं ढर्रों को चलाना चाहता है जो पहले से हैं। जीवन नया है। आदमी गया फँस। अब क्या करे?
समझिए
डर करने में नहीं, डर करने के विषय में सोचने में है। जब कर्म हो रहा होता है, जब आप गहराई से कर्म में उतरे हुए होते हैं, तब डर महसूस नहीं हो रहा होता है। याद रखिएगा, डर न बोलने में है, न कहीं जाने में और न ही लिखने में; डर है उस विषय के बारे में सोचने में। डर का विचार है कि कुछ खो सकता है। वह सब कुछ जो बाहर से आया है।
एक पल को सोचिए क्या क्या है आपके पास जो बाहर से आया है?
क्या कहा! सब कुछ?
तो फिर जानिए कि असली बात तो कुछ और है। जानेंगे इस कोर्स के संग।
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