बाबा बुल्लेशाह इस भजन में बता रहे हैं कि अब हम गुम हो गए हैं। गुम माने खो जाना या सही चीज को पा लेना। तो खोना और पाना एक साथ है। भ्रम खोओगे, तो सत्य पाओगे। अंतर इसमें है कि क्या खो रहे हो और क्या पा रहे हो| परम को पाया, तो क्या खोया? अहंकार, दुःख, दर्द, कष्ट! ये सब खोया| जब इन्हें खो दिया तो क्या पा लिया? वो जो पाया ही हुआ था|
अहंकार पर खड़े हो, तो कहना पड़ेगा, ‘खोओ, अहंकार को’, और आत्मा पर खड़े हो तो कहोगे, ‘पाओ, जो मिला ही हुआ है, आत्मा’। तो खोजने की प्रक्रिया, खोने की प्रक्रिया है।
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