साधारणतया जितनी प्रजातियाँ प्रतिदिन विलुप्त होती हैं, आज उससे हज़ार गुना ज़्यादा विलुप्त हो रही हैं। और कारण इंसान है, प्राकृतिक कारण नहीं है। प्राकृतिक कारणों से भी प्रजातियाँ विलुप्त होती रहती हैं, पर इंसान ने प्राकृतिक दर को एक हज़ार गुना ज़्यादा बढ़ा दिया। जितनी देर में हम बात कर रहे हैं उतनी देर में सैकड़ों प्रजातियाँ सदा के लिए विलुप्त हो गयीं।
आप अगर एक संतान पैदा कर देते हो तो एक साल में ही चालीस टन कार्बन डाइऑक्साइड आपने एक्स्ट्रा (अतिरिक्त) पैदा कर दिया। आप अगर एक संतान पैदा कर देते हो तो एक साल में ही चालीस टन कार्बन डाइऑक्साइड आपने एक्स्ट्रा (अतिरिक्त) पैदा कर दिया।
ये जो बात है न कि बच्चे कम पैदा करो, वृक्ष ज़्यादा लगाओ, बिलकुल बेवकूफ़ी की बात है। तुम सौ वृक्ष लगा लो तो भी तुमने अगर एक बच्चा पैदा कर दिया तो वो सौ वृक्ष लगाना बेकार हो गया। तुम कितने पेड़ लगाओगे कि एक बच्चे की भरपाई कर पाओगे? तुम पूरा जंगल लगा दो तो भी एक बच्चे की भरपाई नहीं कर सकते।
हम खुद को धोख़ा देने के लिए तरह तरह के एक्टिविज़्म चलाते हैं। हम तथ्यों को देखना ही नहीं चाहते। तथ्य सामने आ भी जाएँ तो हम उनसे मुँह मोड़ लेते हैं। जानिए इस कोर्स के माध्यम से कि हम किन किन विधियों से स्वयं को बेहोश रखते हैं।
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