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श्रीकृष्ण की लीला से सीख लीजिए

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श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3 श्लोक 14 पर आधारित
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2 घंटे 31 मिनट
हिन्दी
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परिचय
लाभ
संरचना

अब आते हैं ऐसे श्लोक पर जिसका टीकाकारों ने आधा अधूरा अर्थ किया है। बात ऊपरी तौर पर प्रकटतयः लगेगी ही इतनी आसान; कोई कारण नहीं दिखेगा, कोई संदेह नहीं उठेगा कि श्लोक में और गहरे प्रवेश करने की आवश्यकता है।

प्रस्तुत श्लोक उन्हीं श्लोकों में से एक है।

''अन्न से समस्त भूत (जीव-प्राणि) उत्पन्न होते हैं और मेघों से अन्न उत्पन्न होता है, यज्ञ से मेघ होता है और यज्ञ कर्म से होता है।''

याद करिए पिछले कोर्स में हमने जाना था कि–

यज्ञ का क्या अर्थ हुआ? निष्कामकर्म करके अपने आंतरिक देवत्व को वृद्धि देना।

दानव कौन है? जो सकामकर्म करे।

यह परिभाषा जानते हुए अब ऊपर वाले श्लोक को समझने का प्रयास करिए। चलिए एक इशारा देते हैं ऊपर श्लोक में श्रीकृष्ण का कर्म क्या है? क्या आपने निष्काम कर्म बोला? आप इसे श्रीकृष्ण की लीला भी कह सकते हैं।

क्या कुछ बात बन पा रही है या अब भी समझने में कठिनाई आ रही है। घबराएंँ नहीं, आचार्य जी संग जानें इस श्लोक का सूक्ष्म अर्थ।

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