मुक्ति माने मुक्ति की छवि नहीं, मुक्ति माने सर्वप्रथम छवियों से ही मुक्ति। सदा से ही सामान्य जनों के लिए भी और आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए भी मुक्ति, मोक्ष, निर्वाण, ब्रह्मलीनता इत्यादि शब्द ज़रा डरावने ही रहे हैं। उसकी वजह यह नहीं है कि ब्रह्मलीनता में या ब्रह्मनिर्वाण में या आत्मबोध में या मोक्ष में वास्तव में कुछ भयप्रद है या दुःखकारी है, बल्कि इसलिए क्योंकि हमने उनके बारे में छवियाँ बना ली हैं, क़िस्से कर लिये हैं, कहानियाँ रच ली हैं।
मुक्ति क्या है?
मुक्ति का मतलब है उसको छोड़ देना जिसकी तुम्हारे लिए कोई वास्तविक उपादेयता नहीं है। मुक्ति का अर्थ है ईमानदारी से पूछना कि तुम कौन हो, और जो तुम हो, वह होते हुए तुम्हें वास्तव में क्या चाहिए। जो कुछ तुम्हें चाहिए, उसके अलावा बाक़ी जो कुछ तुमने पकड़ रखा हो, फिर उसे बोझ जानकर त्याग देना, यही मुक्ति है। समझ ही गए होंगे कि मुक्ति का मतलब सिर्फ़ छोड़ना ही नहीं है, मुक्ति का मतलब पाना भी है। जो तुम्हारे लिए आवश्यक हो, उसको पाना भी मुक्ति है। आत्मबोध के प्रकाश में अपने जीवन को एक नई दिशा दीजिए, आचार्य प्रशांत के साथ इस सरल कोर्स में।
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