आह! जवानी (Aah! Jawani)

आह! जवानी (Aah! Jawani)

आग है नसों में या है पानी!
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hindi Language
148 Print Length
Description
युवावस्था एक स्वर्णिम अवसर है जीवन को ऊँचाई देने का। यही वह समय है जो हमारे जीवन की दिशा तय करता है। एक जवान व्यक्ति या तो अपनी चेतना को आसमान की ऊँचाई दे सकता है या फ़िर कामवासना और सांसारिकता के जाल में फँसकर पतित हो सकता है।

यूँ तो एक जवान व्यक्ति के सामने चुनौतियों की कमी नहीं होती पर सोशल मीडिया के भोंडापन और बेहुदगियों ने इस समस्या को और विकराल बना दिया है। आज का एक भारतीय युवक जिस स्थिति में है वह अत्यंत गम्भीर और खतरनाक है।

ऐसे समय में एक उचित मार्गदर्शन और सशक्त पथप्रदर्शन की आवश्यकता और बढ़ जाती है। आचार्य प्रशांत की पुस्तक 'आह जवानी! आग है नसों में या है पानी' एक युवक के मानसिक और शरीरिक क्षमताओं को सही दिशा देने का एक प्रयास है।
Index
CH1
ठरकियों को 'बोल्ड' बोलते हो? (कामुकता निडरता नहीं)
CH2
बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना
CH3
डॉक्टर हो या व्यापारी, इंस्टाग्राम क्वीन सब पर भारी
CH4
ये किन गानों पर नचा रहे बच्चों को?
CH5
मेरी मर्ज़ी मैं कुछ भी करूँ
CH6
बेटा, किस क्लास में हो? गूगल करना नहीं आता?
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