ज़िन्दा हो कि नहीं?

Acharya Prashant

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ज़िन्दा हो कि नहीं?

छात्र: सर, मरने के बाद हम कहाँ जाते हैं ?

वक्ता: मरने से पहले हम कहाँ हैं ?

{हँसी}

सवाल ये नहीं है कि मरने के बाद जीवन है कि नहीं, सवाल ये है कि मरने से पहले भी जिंदा हो कि नहीं?

मरने से पहले जीवन को जानो। किसी के मरने पर किसी ने कबीर से कहा कि अब ये ‘तर’ जायेंगे, मतलब मुक्ति मिल जायेगी, तो कबीर ने कहा – ‘जीयत ना तरे, मरै का तरिहें’। जिंदा जब नहीं तरा तो वो मर कर कैसे तर सकता है?

जीवन अभी है, इसमें रस लो, इसमें रुचि लो, इसको जानो। म्रत्यु तुम जानते नहीं, मौत चीज़ क्या है इसके बारे में बस तुम कल्पना करते हो। तुममें से किसी ने मौत को भुगता है क्या? सिर्फ कल्पना ही तो करते हो ना कि मौत ऐसी होगी, वैसी होगी। कल्पनाओं में मत जीयो, जीवन अभी है, जीवन को जानो। जीवन को पूरी तरह जान लिया तो मौत को जान लोगे, उसमें कुछ ख़ास रखा नहीं है। अभी तो तुम बस मौत के बारे में ख्याली पुलाव ही पका सकते हो। अभी जिंदा हो, जीवन पर ध्यान दो और जीवन को जब पूरी तरह जी लोगे तो मौत का सवाल ही ख़राब हो जायेगा, बेमानी हो जायेगा, ग़ायब हो जायेगा।

मैं मौत के तथ्य से, जो उसका फैक्ट है उससे भागने को नहीं कह रहा हूँ, मैं जीवन जीने को कह रहा हूँ। तुम मौत के बारे में सवाल करते ही इसलिए हो क्योंकि तुम मौत से डरे हुए हो। तुम्हें ये लगता है कि हम खत्म हो जायेंगे तो इसलिए ये जानने में उत्सुक हो कि क्या बचेंगे उसके बाद? शायद बच ही जायें, क्या पता पूरी तरह खत्म ना होते हों!

छात्र: सर, मुझे ये जानना है कि हम चले कहाँ जाते हैं?

वक्ता: तुम हो क्या पहले ये तो जानो ना? अगर मैं ये कहूँ कि मैं कहाँ चला जाता हूँ तो इसके लिए मेरा ये जानना आवश्यक है ना कि मैं हूँ कौन क्योंकि जो है, वही तो कहीं जायेगा।

छात्र: सर, वही कि हम आये कहाँ से और कहाँ …

वक्ता : हम हैं कौन? आने के लिये कोई होना तो चाहिए ना? तुम हो कौन पहले ये तो जानो।

छात्र: मैं कौन हूँ?

वक्ता: वो सब तो नहीं हूँ जो लगता हूँ। ये सब तो आया-गया है। हेयर स्टाइल भी बदल जायेगा, चेहरा भी बदल जायेगा; कपडे भी बदल जाते हैं, विचार भी बदल जाते हैं। लोगों के धर्म तक बदल जाते हैं; सब कुछ बदल जाता है। मेडिकल साइंस तो तुम्हारा शरीर ऊपर से नीचे तक बदल सकती है। तो फिर क्या है जो तुम हो? ये पता करो। इसमें अपनी पूरी ताक़त लगाओ।

‘संवाद’ पर आधारित। स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं। संवाद देखें: https://www.youtube.com/watch?v=i3mGp88KzZQ

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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