आप खाना खा रहे हों, कोई आ जाए कहे, “खाना दे दो।“ आप उसको आधा भी मत दीजिए, पूरा ही दे दीजिए। पर कोई आ करके आपसे आपकी आज़ादी ही माँगने लग जाए तो इतनी-सी भी मत दीजिएगा। थाली और आज़ादी में कुछ तो अंतर होगा।
आपके पास चार रोटी हैं, कोई आ गया है माँग रहा है। आप चार-की-चार दे दीजिए, कोई बात नहीं। एक-दो दिन भूखे रह लेने से कुछ नहीं बिगड़ जाता।
बेकार की चीज़ या कम मूल्य की चीज़ बाँट देना उदारता है। लेकिन जो जीवन का केंद्र है, जो आपकी हस्ती का हीरा है, उसपर ही समझौता कर लेना बेवकूफ़ी है, कायरता है, और ऐसा पाप है जिसकी कोई माफ़ी नहीं होती।