ये घर है या नर्क || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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ये घर है या नर्क || नीम लड्डू

कहते हैं, “हमारे घर में बहुत खुला हुआ माहौल है। मैं तो अपने चौदह साल के लड़के के साथ बैठ कर ड्रिंक करता हूँ। बहुत लिबरल माहौल है हमारे घर का।“

ये लिबरल माहौल है या नरक का माहौल है? नरक और कौन-सी जगह होती है? वही तो जहाँ बाप अपने चौदह साल के बेटे को नशा करना सिखा रहा हो, और कौन-सी जगह नर्क है?

और जहाँ अपनी बेटी को ख़ुद माँ ही नंगा होना सिखा रही हो, नरक और कौन-सी जगह है? और इसको तुम किस नाम से बुला रहे हो? फ्रेंडलीनेस (याराना)। कि, “मेरे माँ-बाप तो बहुत फ्रेंडली हैं।“

मैं सहमत हूँ कि बच्चों के ऊपर दादागिरी नहीं करनी चाहिए, चढ़ नहीं बैठना चाहिए कि घर के माँ-बाप द्वारा ही एक प्रकार की बुलींग चल रही है। पर वो एक अति की बीमारी होती है, उतनी ही ख़तरनाक बीमारी या उससे भी ज़्यादा ख़तरनाक बीमारी तब है जब बाप-बेटा फ्रेंड्स (दोस्त) हो गए। अगर माँ-बाप को फ्रेंड्स हो जाना है तो फिर फ्रेंड्स को माँ-बाप हो जाने दो।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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