उत्तर प्रश्न के अनुकूल हो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)

Acharya Prashant

2 min
117 reads
उत्तर प्रश्न के अनुकूल हो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)

वक्ता: तुम जानते हो लगातार अपने होने को, वो एक बात है। और किसी ने सवाल पूछा है तो उन्हें किन शब्दों में उत्तर दे रहे हो, वो उससे अलग बात है। क्योंकि उत्तर किसी और को दिया जा रहा है और वो उसके मुताबिक होना चाहिए। तुम सड़क पर चले जा रहे हो रात में तीन बजे, एक हवलदार रोक कर पूछता है की ‘तुम कौन हो?’, और इंटरव्यू में जाते हो, तुमसे पूछा जाता है की ‘तुम कौन हो?’, क्या इन दोनों का उत्तर एक हो सकता है?

एक डॉक्टर के पास जाते हो और वो पूछे, ‘कैसे हो?’, और एक दोस्त पूछे, ‘कैसे हो?’, तो दोनों को एक ही उतर दोगे? तुम जैसे भी हो, पर उत्तर बदल जाएगा क्योंकि उत्तर किसी को दिया जा रहा है। ये समझना होगा की प्रश्न क्यों पूछा गया है। इंटरव्यू रूम में कोई सवाल पूछ रहा है तो उस हिसाब से उत्तर दो। महत्व देखना होगा की वो क्या जानना चाहता है। अगर वो ये देखना चाहता है कि तुम मेरे यहाँ पर नौकरी करने लायक हो या नहीं, तो उत्तर वैसा होगा। अगर वो तुमसे ये जानना चाहता है कि तुम वहाँ टिकोगे या नहीं, तो उत्तर दूसरा होगा। वो उत्तर उस बात को ध्यान में रख कर दिया जाएगा।

श्रोता: सर, अपने आप को परिभाषित कैसे करें? ये बतायें कि मेरा नाम राकेश है, या कुछ और?

वक्ता: फिर ये कोई पूछने की बात नहीं है। खुद जानना चाहते हो कि ‘मैं कौन हूँ?’ देखो खुद जानने में और किसी और को बताने में अंतर है।

– ‘संवाद’ पर आधारित। स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
Comments
Categories