प्रश्न: सर, हमारी वास्तविक ताकत और कमज़ोरी क्या है?
वक्ता: ताकत और कमज़ोरी?
श्रोता १: हां सर|
वक्ता: कमज़ोरियां दो तरह की होती हैं, इसे साफ-साफ जान लो| एक कमज़ोरी है, ‘मेरा जन्म ऐसे परिवार में हुआ जो बहुत लड़ाकू और हिंसक है| पर मेरा स्वभाव शांत है| मेरे पूरे परिवार में, सभी लोग बहुत हिंसक है और बात ये है कि ये बहुत बड़ा सम्मान है कि हिंसक हैं| कई घर ऐसे होते हैं, लड़ाके किस्म के, आक्रामक और वहां एक बच्चा पैदा होता है जो बिल्कुल शांत है, लड़ना चाहता ही नहीं| तो उस बच्चे को क्या बोलेंगे? ‘कमजोर निकल गया’| वो उसकी शांति को क्या बता देंगे? ये उसकी..
कुछ श्रोता(एक स्वर में): कमज़ोरी है|
वक्ता: कमज़ोरी है| भारत में मानसिक गुलामी खूब है? अंग्रेजों का गोरा रंग, बिल्कुल छा गया है हमारे दिमाग पर| एक लड़की पैदा होती है, वो सांवले रंग की है| उसको बताया जाता है कि इसकी समस्या ये है कि बड़ी सांवली है| ये उस लड़की की समस्या है, या घरवालों की मानसिकता?
कई श्रोतागण(एक स्वर में): घरवालों की मानसिकता|
वक्ता: तो ये पहले तरह की कमज़ोरी है| जो कमज़ोरी है ही नही, पर दूसरों ने तुम्हारे दिमाग में भर दिया है कि कमज़ोरी है| तुम शांत हो, ये कोई कमज़ोरी है क्या? तुम्हारा रंग गाढ़ा है, ये कोई कमज़ोरी है क्या?
सभी श्रोतागण(एक स्वर में): नहीं, सर|
वक्ता: तुम्हें बहुत बातें करना नहीं पसंद, तो तुम्हारे दोस्तों ने बार-बार ये कहा है, ‘तुम्हारे साथ कुछ तो गलत है, क्योंकि तुम सामाजिक नहीं होते हो’| ये कोई कमजोरी है, अगर मुझे बहुत बातें करना नहीं पसंद? मुझे अकेले रहना, चुप रहना पसंद है, ये कोई कमजोरी है? कोई कमजोरी तो नहीं है ना? पर हम सब अपने मन में ये बात बैठाए हुए हैं कि हम में कोई ऐसी कमजोरी है जो वास्तव में है ही नहीं|
इसी तरीके से हमने अपने आप को बहुत सारी ताकतें बता रखीं हैं, जिनमें ताकत जैसा कुछ है ही नही| आप ज़बर्दस्ती बहुत बोलते हो, तो आपके ऐसे दोस्त हो सकते हैं, जो आपको बोलें कि बड़ा आत्मविश्वासी है, बड़ा विश्वस्त है| अब ये ज़बर्दस्ती का मुंह चलाना कोई आत्मविश्वास है? इसकी कोई कीमत है? पर आप जा के बोल दोगे, मैं बहुत-बहुत विश्वस्त हूं| तो ये कमज़ोरियां भी नकली हैं, ये ताकत भी नकली है| समझ रहे हो बात को? वास्तव में तुम्हारी जो ताकत है, वो तीन या चार आधारों से ही आ सकती है, उनको लिख लो|
पहला: जानना, दूसरा: मुक्ति, तीसरा: आनंद, चौथा: प्रेम | तुम्हारी जो भी वास्तविक ताकत निकलेगी, वो इन्ही चारों में से सम्बंधित होगी| इनके अतिरिक्त और कोई ताकत होती नही|
जानने का अर्थ हुआ, ‘मैं जानना चाहता हूं, मैं उत्सुक हूं, मैं जिज्ञासु हूं| मैं सीखना चाहता हूं| मैं सीखने से प्यार करता हूं| जब मैं कुछ नही जानता, मैं पूछता हूं| मैं अनभिज्ञ रहना पसंद नहीं करता’|
मुक्ति का मतलब हुआ, ‘मैं बंधन में रह कर काम करना पसंद नहीं करता| मुक्ति मेरा स्वभाव है| मैं मुक्ति की ओर काम कर रहा हूं| मैं बिना किसी दबाव के सोचता हूं| मैं बिना किसी दबाव के सुनता हूं| मैं बिना किसी दबाव के देखता हूं| मैं बिना किसी दबाव के कार्य करता हूं’|
आनंद का मतलब हुआ, ‘मैं ऊबना पसंद नही करता| मैं खुश रहता हूं और दूसरों को भी ख़ुशी देना पसंद करता हूं| ये मरी हुई शक्लें, उदास चेहरे, झुके हुए कंधे, ये सब मुझे अच्छे नहीं लगते| जीवन बीमारी थोड़े ही है कि झेल रहे हैं|
चौथा, प्रेम| ‘जो करता हूं, मज़े में, प्यार से करता हूं, डूब के करता हूं| खेल रहा हूं, तो खेलने में डूबता हूं| सुन रहा हूं, तो पूरे ध्यान से, डूब जाता हूं उसी में| किसी के साथ हूं, तो पूरी तरह उसके साथ हूं| ये नहीं कि कुछ और सोच रहा हूं| काम करता हूं, तो उस काम से प्यार है| ऐसा नहीं कि सिर्फ पैसे कमाने के लिए कर रहें हैं, कि तनख्वाह मिल जाएगी|
इन को भुला देना कमज़ोरी है| जब इनको भूलोगे तो इनके विपरीत कुछ करोगे, यही कमज़ोरी है| समझ रहे हो?
सभी श्रोतागण(एक स्वर में): हां, सर|
वक्ता: प्रेम, आनंद, मुक्ति , सत्य का हमारे वास्तविक स्वभाव में रहना ही ताकत है, और इनका अनादर करना, इन्हें भूल जाना, या इनके विपरीत जाना ही?
सभी श्रोतागण(एक स्वर में): कमज़ोरी है|
वक्ता: कमज़ोरी है| ठीक है?
-‘संवाद’ पर आधारित। स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं।
इस विषय पर और पढ़ें: