बहुत तकलीफ़ हो रही है मुझे यह कहते हुए कि हमारे देश का औसत नौजवान, औसत लड़का, औसत लड़की एक अब औसत पॉर्नस्टार बन चुका है। और बहुत ज़िम्मेदारी के साथ मैं यह बात बोल रहा हूँ। और मैं कुछ गिने-चुने पॉर्नस्टार्स की बात नहीं कर रहा हूँ, मैं इस देश के औसत लड़के-लड़की की बात कर रहा हूँ। और ये घर-घर में हो रहा है। आप इससे मुँह छुपाना चाहते हों तो आपकी मर्ज़ी।
उन्हें वह सब कुछ करना है जो चेतना को गिराता है, उन्हें वह सब कुछ करना है जो ऊँचे मूल्यों के खिलाफ़ जाता है, ऊँचे मूल्यों को वो खतरा समझते हैं। सादगी, सहनशीलता, संयम, यह उनकी भाषा में गालियाँ हैं। सरलता को वो बेवकूफी मानते हैं।