Acharya Prashant is dedicated to building a brighter future for you
Articles
स्वधर्म क्या है? || (2015)
Author Acharya Prashant
Acharya Prashant
5 min
370 reads

प्रश्नकर्ता: सर, स्वधर्म क्या है और कहाँ से आता है?

आचार्य प्रशांत: स्वधर्म आपके होने से आता है। कैसे आता है? समझिए। आप जब ‘घर’ में होते हो तो आप कुछ नहीं होते हो। हम कहते हैं न कि तुम ‘घर’ से बिछड़ गए हो। तुम घर से बिछड़ते नहीं हो, तुम जैसे-जैसे घर से दूर होते जाते हो, वैसे-वैसे ‘तुम’ होते जाते हो। स्नो-बोलिंग जानते हैं न? तो पहाड़ की चोटी से हिम के दो कण चलते हैं और वे चोटी से जितना दूर होते जाते हैं, वे हिम की पूरी एक चट्टान बनते जाते हैं। तुम घर से जितना ज़्यादा दूर होओगे, तुम उतने ज़्यादा ‘तुम’ हो जाओगे।

धर्म क्या है? – घर को लौटना। आप पूछ रहे हो, "धर्म कैसे पता चले, स्वधर्म कैसे पता चले?" अपने होने से, अपनेआप को देख करके। आप जितने हो, उतने ही आप घर से दूर हो। घर से दूर ना होते तो आप होते कैसे? स्नोबॉल जितनी बड़ी है, वह अपनी चोटी से उतना दूर निकल आई है न। तो अपने होने को देखो। अपनेआप को जितना पाओ, उतना ज़्यादा समझ जाओ कि घर से दूर हो और अपनेआप को काटना है, गलाना है।

रूमी ने कहा है न, “अपनेआप को साफ़ करो अपने ही पानी से”। गलो और तुम जब गलोगे तो उसी गलने में तुम्हारी सफ़ाई है। जैसे कोई गन्दा स्नोबॉल हो, और वह पिघलता जा रहा हो और उसके पिघलने के कारण ही वह साफ़ होता जा रहा हो। तो देखो कि तुम क्या-क्या हो गए हो। उसी से तुम स्वधर्म जान जाओगे। जो तुमने इकट्ठा कर लिया है, जो भी तुम अपनेआप को समझते हो, वही बोझ है तुम्हारा। और तुम्हारा धर्म है ‘बोझ से मुक्ति’। तुम्हारा धर्म है वापस लौटना। समझ रहे हो?

हु ऍम आई ? – इस सवाल के जितने भी जवाब तुम लिख सकते हो, उन सारे जवाबों से मुक्त हो जाना ही धर्म है।

धर्म का अर्थ समझते हो क्या होता है? हम सोचते हैं कि धर्म का मतलब है, 'किसी परिस्थिति में मुझे क्या करना चाहिए'। धर्म का असली अर्थ होता है कि किसी भी परिस्थिति में कुछ ऐसा करना कि अगली बार तुम्हारे लिए वह परिस्थिति आ ही ना सके। हर परिस्थिति एक चुनौती है, एक तरह का व्याघात है। एक परेशानी है। हर परिस्थिति वास्तव में एक परेशानी है। अगर परेशानी ना होती, तो तुम्हें उसका पता ही ना चलता।

अभी बारिश हो रही है और यदि आप मुझे ध्यान से सुन रहे हैं तो आपको बारिश का पता नहीं चल रहा होगा। और चूँकि पता नहीं चल रहा है, इसलिए वह परिस्थिति है ही नहीं। लेकिन जिस क्षण इस बारिश के कारण आपके ध्यान में बाधा पड़ेगी, ठीक उसी क्षण यह बारिश आपको सुनाई देगी। बात समझ रहे हैं कि नहीं? ‘परिस्थिति’ परिस्थिति है ही नहीं यदि वह परेशानी नहीं है। फिलहाल आपको बारिश से परेशानी नहीं है इसलिए आप कहोगे ही नहीं कि बारिश हो रही है। ऐसा पूछा जाए कि "अभी क्या-क्या है?" तो आप दस चीज़ें गिनाओगे जिसमें बारिश शायद हो भी ना क्योंकि अभी आप ध्यानस्थ हो।

तो प्रत्येक परिस्थिति में आपका धर्म है, ऐसा कुछ करना कि आप ‘वो’ बचो ही ना जिसके लिए वो परिस्थिति महत्व रखती है। ऐसे हो जाओ कि अब यह परिस्थिति भी गई। मैं वापस आया, मैं वापस आया। मैं एक कदम और आगे बढ़ा घर की तरफ़। आपके पास कोई स्पैम कॉल आती है, कोई व्यर्थ ही आपको कॉल कर करके परेशान कर देता है। आपका क्या धर्म है…?

प्र: उसे ब्लॉक करना।

आचार्य: जैसे ही ब्लॉक किया, अब वह परिस्थिति दोबारा आ ही नहीं सकती। लेकिन आप उसे ब्लॉक नहीं कर पाते क्योंकि आप कुछ हो और आपका उससे कोई सम्बन्ध है। स्पैम वही नहीं होते जो आपको कुछ बेचना चाहते हैं। सबसे बड़े स्पैमर्स आपके दोस्त होते हैं। पर आप जान भी नहीं पाते कि आपका धर्म है कि ट्रू-कॉलर में इसको ब्लॉक कर दूँ। तेरा फ़ोन ही नहीं आएगा। उसको ब्लॉक करने के लिए आपको पिघलना पड़ेगा। आपको अपनी पहचान में से कुछ खोना पड़ेगा। पहचान का कौन सा हिस्सा खोना पड़ेगा? कि “मैं इसका दोस्त हूँ”। जैसे ही आपने उसको ब्लॉक किया, अब वह परिस्थिति आपके साथ दोबारा नहीं आ सकती, आप बदल गए।

परिस्थितियों से नफ़रत होते-होते, होते-होते, अंततः आप ऐसे हो जाते हो कि आप अन्तः-स्थित हो जाते हो। परि, माने बाहर। बाहर जो कुछ भी चल रहा है, वो अब है नहीं। जो भी है, वो अब भीतर है। आई बात समझ में?

ऐसे हो जाना कि दुनिया तुम्हारे मन में कोई विक्षेप खड़ा ही ना कर सके। यही तुम्हारा धर्म है। विक्षेप माने *डिस्टर्बेंस*। जो कुछ तुम्हें उत्तेजित करता हो, उद्द्वेलित करता हो, जो कुछ तुम्हारे मन में लहरें खड़ी कर देता हो, उसी से सुरक्षित हो जाना धर्म है। और लहरें बड़ी आकर्षक लहरें होती हैं। लहरों का नाम यह नहीं होता कि हम तो आपको परेशान करने वाली लहरें हैं। लहरें बड़े सुन्दर नाम लेकर आती हैं। कैसे-कैसे नाम? परवाह, प्यार, शुभचिंतक, लालच, पैसा, ज़िम्मेदारी, प्रतियोगिता।

Have you benefited from Acharya Prashant's teachings?
Only through your contribution will this mission move forward.
Donate to spread the light
View All Articles