Acharya Prashant is dedicated to building a brighter future for you
Articles

सोता सपना

Author Acharya Prashant

Acharya Prashant

1 min
584 reads
सोता सपना

आज

तुम सोती हो

यहाँ मेरे सामने

मैं

तुम्हें बहुत ध्यान से देख रहा हूँ

तुम जानोगी भी नहीं

कि

तुम्हारी आँखों में नींद है

और मेरी आँखों में

तुम्हारे लिए

सपने ।

आज

बुरा होकर भी

बहुत अच्छा है

क्योंकि

कल आज में ही तो छुपा है ।

मैं नहीं जानता’

कल तुम मेरे सामने

सोओगी कि नहीं

मैं नहीं जानता

कल मैं लिखूंगा कि नहीं

मैं नहीं जानता

सपने सच होंगे या नहीं

और सच सपनों के

केंद्र में तुम

तुम होगी या नहीं।

कल सिर्फ़ मेरा हो सकता है

कल सिर्फ़ तुम्हारा भी

पर कल

मेरी आँखों का होगा या नहीं

मैं नहीं जानता

यानी कि

सच पूछो तो

मैं कुछ भी नहीं जानता।

पर रात का यह वक्त,

हाथ में कलम

लिखे जा रहे शब्द

और अकेला मैं

इतना तो कहते ही हैं

कि

जानू मैं

इंतज़ाम हो चुका है

कल के

दर्द का ।

~ प्रशान्त (१३.०७.९८)

GET UPDATES
Receive handpicked articles, quotes and videos of Acharya Prashant regularly.
OR
Subscribe
View All Articles