देखिए यही एकमात्र तरीका है ये अपनी छोटी-सी ज़िंदगी सही तरीके से जीने का – जो सही है वो करना। हथियार डाल दो, मजबूर हो जाओ, बिलकुल समर्पण कर दो कि जो सही काम है वो तो करना ही है, अंजाम क्या होगा ना हम जानते हैं, ना हमें परवाह करनी है। परवाह हम करते हैं पूरी-पूरी बस एक चीज़ की, ये समझने की कि ये जो काम है यह ठीक है या नहीं है। ये जानने, यह समझने में हम पूरी ताक़त झोंक देते हैं।
और एक बार जान गए कि सही काम में हैं उसके बाद आगे क्या होगा इसकी परवाह नहीं करनी है। जो इस तरीके से जीयेगा, उसे ना कभी मोटिवेशन की ज़रूरत पड़ेगी, ना पॉज़िटिव थिंकिंग की। और मैं आगाह किए देता हूँ, जिन लोगों को पॉज़िटिव थिंकिंग की, मोटिवेशन की ज़रूरत ज़्यादा पड़ती है, ये वो लोग हैं जो ज़िंदगी ही ग़लत जी रहे हैं।