सही कर्म कौनसा? || (2014)

Acharya Prashant

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सही कर्म कौनसा? || (2014)

आचार्य प्रशांत: ये मत पूछो कि, ‘ मुझे कैसे पता कि मेरा एक्शन पूर्णतया सही है या नहीं?’ ज़्यादा ईमानदारी की बात यह है कि, ‘मुझे जो चीज़ पता है कि सही है, मैं वो भी कर पा रहा हूँ या नहीं?’ ग़लती यह नहीं है कि कोई पूर्णतया सही कर्म था और वो तुम नहीं कर पाए; ग़लती यह थी कि जो तुम को पता था कि सही है, तुममें वो करने की भी हिम्मत नहीं थी। लोग आमतौर पर यह पूछते हैं कि, 'हम कैसे पता करें कि सही कर्म क्या है?' मैं कहता हूँ कि सवाल हटाओ!

तुम्हें पता ही नहीं कि राइट एक्शन (सही कर्म) क्या है, तो क्या बात करें। ज़्यादा ईमानदारी का सवाल यह है कि जब पता हो कि सही कर्म क्या है, तब वो क्यों नहीं करते? जब नहीं पता, तो चलो माफी! जब पता था तब क्यों नहीं किया? सो रहे थे, अलार्म बजता रहा, नहीं जगे, कोई बात नहीं! जग गए तब हाथ डाल कर बंद क्यों किया था? — ज़्यादा ईमानदारी का सवाल है।

जो सोया पड़ा है, ग़लती उसकी भी है पर उसको माफ़ी दी जा सकती है एक बार को, पर जो जागने के बाद अलार्म बंद करता है उसको क्या माफ़ी? जो पता है कि सही चीज़ थी उसको करो न, वहाँ पर हिम्मत दिखाओ, वहाँ पर क्यों हल्के पड़ जाते हो?

प्रश्नकर्ता: सर, वही तो है कि हमने जो किया वो हमें लगता है कि सही है इसलिए हमने किया भी, पर…

आचार्य: अगर तुम्हें लगता था कि सही है, तो तुमने किया, बाद में पता चला कि ग़लत था तो पछताने की कोई बात नहीं है, क्योंकि उस समय तुमने वही किया जो तुम्हारी दृष्टि में ठीक था। मैं कह रहा हूँ लेकिन कि, ऐसा दस में से एक बार होता है कि तुम वही करते हो जो तुम्हें पता है कि ठीक है। दस में से नौ बार तुम समझौते कर लेते हो, दस में से नौ बार तुम को पता होता है कि जो तुम कर रहे हो वो ठीक नहीं है, तब भी तुम वही करते हो।

तुम्हें कुछ लगा कि ठीक है, पर बाद में पता चला कि चूक हो गयी तो माफ़ी है भई! तुम इंसान हो, चूक हो सकती है, उसकी सज़ा नहीं मिलेगी तुमको। लेकिन जानते-बूझते गड़बड़ करोगे तो उसकी सज़ा मिलती है।

कुछ भी पूर्णतया सही या ग़लत नहीं होता। आज तुमको जो ठीक लग रहा है, दस साल बाद तुमको बिलकुल लग सकता है कि कुछ और करना चाहिए था, वो कोई बात नहीं हुई।

बात यह है कि जो अभी पता है उसको तो करो!

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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