प्यार भरी शाम, और आइसक्रीम का दर्द || आचार्य प्रशांत

Acharya Prashant

12 min
137 reads
प्यार भरी शाम, और आइसक्रीम का दर्द || आचार्य प्रशांत

प्रश्नकर्ता: नैतिकता पर मेरा एक प्रश्न है। मैं पाँच सालों से शाकाहारी हूँ और पिछले दो सालों से वीगन। मैं महिलाओं के साथ डेट पर जाता था, जिनसे मैं डेटिंग ऐप पर मिला था। भले ही मैं पशु उत्पादों को नहीं खाता था, लेकिन वो खातीं थी तो मैं उसका भुगतान करता था और मैं उन्हें कहता था कि ये तुम्हारी ज़िन्दगी है, तुम जो चाहो वो करो, ये तुम्हारा निजी फैसला है।

और मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मैं उम्मीद कर रहा था कि मैं उनके साथ सो पाऊँगा, और यदि मैंने कहा कि नहीं तुम एक पशु हत्यारे हो, मैं इसके लिए भुगतान नहीं करने वाला, तो वो उस पूरे माहौल को ख़राब कर देता और मैंने हमेशा इसके लिए ख़ुद को दोषी महसूस किया है।

जैसा कि आपने कहा, आपने जो किया उसमें मैं कभी भी सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाया। इसी तरह, मैं कभी भी ये देख नहीं पाया कि मैंने सचमुच एक निर्दोष, मासूम प्राणी को मारने के लिए भुगतान किया, जिसने मुझे कभी नुकसान नहीं पहुँचाया, वो सिर्फ़ इसलिए मारा गया ताकि मैं शारीरिक सुख ले सकूँ। यह मेरे प्रश्न का पहला भाग है।

और दूसरा भाग यह है कि ऐसे कई मौके आते हैं, जब मैं सही काम करना चाहता हूँ मगर मुझे डर लगता है कि कहीं उसके कारण मैं अकेला न रहा जाऊँ, यदि मैंने माँस-भक्षण का विरोध किया तो। मेरे कुछ दोस्त हैं जो मुझे सलाह देते हैं कि माँस खाने वाले व्यक्ति के साथ संबंध रखने में कोई बुराई नहीं है।

वो ऐसा करते हैं, मगर मैं ऐसा नहीं करता। मैं इसलिए उन्हें जज करता हूँ कि वो कैसे किसी के दुष्कर्मों को बढ़ावा दे रहे हैं और अगर तुम माँस नहीं खाते तो तुम क्यों ऐसे इंसान का पालन-पोषण करके माँस-भक्षण का समर्थन कर रहे हो?

आचार्य प्रशांत: देखिए, जो, जो इंसान आईस्क्रीम खा रहा है आपके साथ, ठीक है। आइस्क्रीम खाने के मौक़े पर वो व्यक्ति ठीक-ठाक सा ही लगता है। आईस्क्रीम ही तो खा रहा है, ठीक है। प्लेट में होगी आईस्क्रीम या कोन में होगी।

अब ये कोन में आईस्क्रीम खा रहा है, वो चॉकलेट आईस्क्रीम है भूरे रंग की, है न? अब वो खा रहा है उसमें थोड़ी सी खुशबू भी आ रही है। तो ऐसा तो कुछ लगता नहीं कि बहुत बड़ा कोई पाप हो रहा है। नहीं लगता न? ठीक है, नहीं लगता।

अब यही जो व्यक्ति आपके साथ है। आप डेट पर गये हैं और कोई महिला, कोई लड़की आपके साथ है। वो आपके साथ डेट पर है। और वो एक राह चलते बकरे को या घोड़े को पकड़कर के, अचानक पकड़कर के अपनी जेब से एक खंजर निकाले और खच-खच-खच-खच-खच-खच, वहीं आपके साथ मारना शुरू कर दे। ठीक है। अब कैसा लग रहा है?

वो आपके साथ एक चॉकलेट सॉफ्टी खा रही है। तो उसमें तो कुछ किसी को बुरा लगता ही नहीं है, आप फ़ोटो भी खींच लोगे, बल्कि आप डाल दोगे। आप कहोगे ये तो अच्छी बात है, क्या हो गया।

लेकिन वही जो आपके साथ महिला है — आप जिसके साथ डेट पर गये हैं — आपके साथ चल रही थी और प्यार भरी मीठी बातें चल रही थीं, रोमैंटिक और तभी उसको दिख गया सड़क किनारे एक घोड़ा या गधा या कुत्ता। और उसने क्या किया? वो जानती नहीं है उसको क्योंकि हम जिनका माँस खा रहे होते हैं, हम कभी उन्हें जानते हैं क्या, जानते तो कुछ भी नहीं हैं। बस माँस खा जाते हैं किसी का।

और उसको दिख गया वहाँ एक घोड़ा खड़ा हुआ था और वो भी बूढ़ा, क्योंकि ज़्यादातर जो जानवर कटते हैं वो बूढ़े ही होते है। तो कूदकर गई, घोड़े को पकड़ा और गिराया, और जेब से निकाला और (चाकू से मारने का इशारा करते हुए)। अब कैसा लग रहा है, कैसा लग रहा है, अब अच्छा नहीं लग रहा न? ग्रिजली , होरेफिक (भीषण), गौरी, हिंसक।

पर जो चॉकलेट कोन वाली स्थिति थी और जो घोड़े को गिराकर के कत्ल करने वाली स्थिति है, इन दोनों में वाक़ई कोई अन्तर है क्या, इन दोनों में वाक़ई कोई अन्तर है क्या? बस माया का खेल है कि आँखों को, इन्द्रियों को दिखाई नहीं पड़ता।

व्हाट अ ग्रोज एक्ट ऐसे ही बोलेंगे न सब? कि क्या चल रहा है? दिस इज़, सो दिस इज़ असाल्ट ऑन द सेंसेस (यह है, तो यह इंद्रियों पर आक्रमण है) हाउ कैन यू डू दिस (यह तुम कैसे कर सकते हो)? इस तरह की कॉमेंट्स (टिप्पणियाँ) आएँगे न और वैसे कोई कॉमेंट नहीं आता है जब आप आईस्क्रीम खा रहे होते हो। जबकि आइस्क्रीम में जो दूध है वही सीधे-सीधे खून बन रहा है।

इतनी बार हम ये सवाल उठा चुके हैं कि आप सोचते क्यों नहीं हो कि दूध देने वाली एक मादा जो सात-आठ साल की उम्र के बाद दूध देना बन्द कर देती है — गाय हो, भैंस हो, बकरी हो, कोई हो — फिर उसका क्या होता है, क्योंकि अभी उसके पास जीने के लिए पाँच-सात वर्ष बचे हुए हैं। ऐसा तो नहीं है, जिस दिन दूध देना बन्द करती है उसी दिन मर जाती है। ऐसा तो नहीं होता? अभी तो उसके जीने के कई साल बचे हुए हैं।

तो उसका क्या करते हैं? जो किसान है, उसको पालता रहता है कि दूध नहीं दे रही है फिर भी पालूँगा और रोज़ इसको खिलाऊँगा। किसान ऐसा करता है, क्या होता है उसका? वो जाती है, वो कटती है, उसका माँस बनता है और भारत में माँस उतना ज़्यादा खाया तो जाता नहीं तो वो सब एक्सपोर्ट (निर्यात) होता है।

ये बड़ा सीधा सा गणित है, पर ये हमारी समझ में क्यों नहीं आता? कि वो जो आप आइस्क्रीम खा रहे हो उसमें और एक भैंस को ज़मीन पर गिराकर के उसका गला रेत देने में कोई अन्तर नहीं है।

आपकी स्वीट हार्ट (प्रेमिका) भैंस पर चढ़कर बैठी हुई है, उसका खून पी रही है। अब कैसा लग रहा है सोचने में? ब्रूटल (क्रूर) लग रहा है न? आप यही बोलोगे, ‘शी इज़ अ ब्रूट ' (ये एक जानवर है) पर जब चॉकलेट कोन है तो शी इज़ सो क्यूट (ये कितनी मासूम है)। (सभी हँसते हुए) वो जो क्यूट है वही तो ब्रूट है। ये हमें समझ में नहीं आता।

तो बात इसमें एथिक्स की भी कहाँ है, आप बताओ? ये तो बात सीधे-सीधे फैक्ट (तथ्य) की है कि देखो तो वो एक ही घटना है। एक ही घटना है। तो जब कोई आपके साथ है, और कह रहा है डेटिंग पर आये हैं, प्रेम की बात आगे बढ़ेगी और वो ये सब करने लगे। तो उसके साथ वही व्यवहार करिए जो आप उस व्यक्ति के साथ करेंगे जो एक घोड़े को या भैंस को ज़मीन पर गिराकर के उसका गला रेत रहा होगा। उसके साथ आप क्या व्यवहार करेंगे? उसके साथ आगे आप डेटिंग करेंगे और?

वैसे ही वो चॉकलेट थोड़ी सी नाक पर लग जाती है खाते-खाते। कई बार होता है, नाक पर लग गयी, यहाँ होंठ पर ऊपर लग गयी तो क्यूटनेस (मासूमियत) में और इज़ाफा हो जाता है। उसको ऐसे देखिए कि किसी के मुँह पर खून पुता हुआ है। अब कैसा लग रहा है, अब कैसा लग रहा है?

अब प्रेमीजन तो अक़्सर एक-दूसरे के मुँह पर चॉकलेट लगी हो तो चाट भी लेते हैं, उससे प्यार और बढ़ता है। पीडीए का ये तरीक़ा भी अब काफ़ी प्रचलित हो गया है। आप एक ही कोन में साथ-साथ खाओगे। जब उतना सा कोन है, उसमें दोनों साथ-साथ खाओगे तो इधर-उधर चॉकलेट लग जाएगी, उसको चाटो। खून भी क्यों नहीं चाट लेते? उसके चेहरे पर किसी का खून लगा है चाटोगे क्या? तो उसमें एथिकल बात क्या है?

हत्या-तो-हत्या है। हत्या-तो-हत्या है, चाहे वो चॉकलेट कोन के नाम पर की जाए, प्यार के नाम पर की जाए, व्यापार के नाम पर की जाए, धर्म-संस्कार के नाम पर की जाए; हत्या तो हत्या है।

और अभी भी यहाँ पर हमें थोड़ी गुंजाइश हो जाती है क्योंकि अभी बात हो रही है किसी थोड़ी सी अपरिचित महिला की, जो डेटिंग पर मिली है। अब वो व्यक्ति अपरिचित न हो, अपने ही घर का हो तो क्या करोगे? मान लो वो ‘वाना बी ' (होना चाहती हो) या ‘वुड बी ' (होना चाहिए) नहीं है, वो आपकी वाइफ़ (पत्नी) ही है।

वो कह रही है मैं तो चॉकलेट , स्ट्रॉबेरी , मुझे तो चाहिए-ही-चाहिए कोन। अब क्या करना है आप बताओ न? वही करना है, आपकी पत्नी हो, आपका पति हो, आपका बाप हो, आपकी माता हो, आपके दोस्त-यार हों। आप इनमें से किसी को पाएँगे, किसी का कत्ल करते हुए तो जो करेंगे, वही तब किया करिए, जब वो ज़ोर देते हैं कि हमें दूध तो पीना ही है।

प्र२: तो सर, बात फिर उस रिश्ते की क्वालिटी (गुणवत्ता) पर ही आ जाती है न? आपको और गहराई से जाना पड़ेगा, मेरे ख़्याल से। जैसे इन्होंने डेटिंग का एग्जाम्पल (उदाहरण) दिया। अब वो जो उद्देश्य है डेटिंग पर जाने का वो उद्देश्य ही तय कर देगा।

आचार्य: बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया, एकदम सही बात है। डेटिंग में तो इसलिए गये हो न कि प्यार गहराएगा। हम कुछ बोल दें, भले ही हम ये बोलते हैं कि जस्ट वांटेड टू हैंग आउट एंड हैव नाइस इवनिंग (बस बाहर घूमना और एक अच्छी शाम बिताना)।

ऐसे ही बोला जाता है, जस्ट टू शो दैट यू नो, यू आर नॉट डीपली इनवेस्ट इन टू (केवल यह दिखाने के लिए कि आप जानते हैं, आपने गहराई से निवेश नहीं किया है)। लेकिन दिल-ही-दिल में तमन्ना तो यही होती है कि बात आगे बढ़े, और आगे बढ़े, और फिर एकदम ही आगे बढ़ जाए।

जो व्यक्ति इतना हिंसक है वो तुमसे प्रेम कैसे कर लेगा भाई? उससे प्यार ही तो माँगने जा रहे हो। उसके पास प्यार है ही नहीं, तो आपको कैसे दे देगा? प्यार तो सूरज की तरह होता है। वो तो चमकता है और वो जब चमकता है तो किरणें सब पर पड़ती हैं। यदि प्रेम होता है तो, प्रेम होता है फिर वो।

आप ऐसा थोड़े ही कर सकते हो कि अपने बच्चे के लिए बहुत प्रेम है और कुत्ता है, उसको लात मार रहे हैं। वो फिर, वो तो प्रेम नहीं है। वो कोई और चीज़ है, हॉर्मोनल है, भावनात्मक है, कुछ और चीज़ है वो।

तो आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ हो जो इग्नोरेंस (अज्ञानता) में धँसा हुआ है, हिंसा में फँसा हुआ है। वो व्यक्ति आपसे भी प्यार कैसे कर लेगा? और ये तो हम चॉकलेट कोन की बात कर रहे हैं। यहाँ तो डेटिंग के समय में पूरा-पूरा तन्दूरी मुर्गा। आप दोनों में प्यार बढ़ रहा है, वो मुर्गा कह रहा है, ‘मैं तो जान से गया, मेरा क्या था इसमें?’

और कई बार वो बेबी लैम्ब होता है एक, छोटा मेमना। एक छोटा बच्चा और आप कह रहे हो हम दोनों प्रेम की बातें करने आये हैं। और सामने भुना हुआ मेमना रखा हुआ है। ये कौन सा प्यार है? और उस मेमने की लाश पर ये जो प्यार परवान चढ़ रहा है, ये कितनी दूर तक जाएगा।

क्या ये दोनों व्यक्ति आपस में भी एक-दूसरे को प्रेम कर सकते, सम्भव है क्या? सोचकर देखिएगा। मैं उस मेमने के प्रति इतना क्रूर हूँ, इतना क्रूर हूँ, मैं उसका माँस चबा रहा हूँ, मैं एक बच्चे का माँस चबा रहा हूँ। मैं किसी से भी क्या प्यार करूँगा, क्या प्यार करूँगा?

कोई कहेगा लोनली (अकेले) हो जाते हैं। ठीक है, राक्षसों की संगत से तो बेहतर है अकेले ही रह लो। राक्षस हो, राक्षसनियाँ हों। उसे खून पीना है साहब, आप उसकी संगत करोगे तो आपका पिएगी। आपको बहुत शौक़ हो, खून किसी को पिलाने का ही तो रक्तदान कर दीजिए, किसी की जान बचेगी। आप किसी ऐसे के साथ क्यों डेटिंग कर रहे हैं, जिसकी हॉबी (शौक़) है, खून पीना। वो आपका भी तो खून ही पिएगा न व्यक्ति।

जितनी आबादी थोड़े समझदार लोगों की है, अगर वही ये निश्चय कर लें कि हिंसक लोगों को मुँह नहीं लगाएँगे। तो भी हिंसक लोगों को थोड़ा झटका लगेगा, थोड़ी आँख खुलेगी और हिंसा के लिए उनको थोड़ा डिसइंसेंटिव (निस्प्रोत्साहन) मिलेगा कि देखो बुरा काम करा तो उसका नतीजा ये हुआ कि एक बढ़िया आदमी हाथ से निकल गया। लेट्स कॉल इट ऑफ राइट नाउ (आइए इसे अभी बन्द करें)।

क्यों नहीं बोल सकते हैं? द मूमेंट देयर इज़ द मेन्यू एंड शी पिक्स द रॉन्ग आइटम्स फ्रॉम द मेन्यू (जिस क्षण मेनू आता है और वह मेनू से गलत आइटम चुन लेती है), व्हाई कांट यू गेट-अप दैट मूमेंट इट सेल्फ़ (आप उस क्षण ही उठ क्यों नहीं सकते)? नहीं भाई, ठीक है, हो गया। हो गया देवी जी, हो गया। देवी जी हों, देवता जी हों, कोई हों। बात महिलाओं, पुरुषों दोनों के लिए है।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
Comments
LIVE Sessions
Experience Transformation Everyday from the Convenience of your Home
Live Bhagavad Gita Sessions with Acharya Prashant
Categories