महिलाओं की दुर्दशा के दो कारण || नीम लड्डू

Acharya Prashant

1 min
416 reads
महिलाओं की दुर्दशा के दो कारण || नीम लड्डू

औरतों से मुझे जितनी शिक़ायत है, उतना ही उनको लेकर के दुःख भी है। उनको देखता हूँ, बहुत दुःख लगता है। और शिक़ायत इस बात की है कि वो अपने दुःख का कारण स्वयं हैं। भावना को वो अपना हथियार समझती हैं। देह को वो अपनी पूंजी समझती हैं। देह सजाएँगी, सँवारेंगी, भावनाओं पर चलेंगी और सोचती हैं कि, ‘हमने ये बड़ा तीर मार दिया!’ इन्हीं दो चीज़ों के कारण देह – देह माने तन, और भावना माने मन – इन्हीं दो के कारण वो इतिहास में लगातार पीछे रही हैं और ग़ुलाम रही हैं।

जबकि स्त्री को प्रकृति गत कुछ विशेषताएँ मिली हुई हैं, जो पुरुष के पास नहीं होती हैं। धैर्य स्त्री में ज़्यादा होता है, महत्वाकांक्षा स्त्री में कम होती है, ये बड़े गुण हैं। अगर स्त्री संयत रहे तो खुल कर उड़ सकती है, आसमान छू सकती है। पर वो इन्हीं दो की बंधक बन कर रह जाती है – तन की और मन की।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
Comments
LIVE Sessions
Experience Transformation Everyday from the Convenience of your Home
Live Bhagavad Gita Sessions with Acharya Prashant
Categories