प्रश्नकर्ता: और एक प्रश्न और है कि आपने पिछला शिविर में बोला था कि हमारा शरीर जो है, वो जो डीएनए है या प्राकृतिक है, वो याद रखते हैं कि हमें अकाल पड़ा था तो हम कैसे भूखे मरे थे डीएनए? तो सुक्रोज या फैट (वसा) लेती है वो। शक्कर को इस कारण वो ज़्यादा पसन्द करती है। जलेबी का आपने उदाहरण दिया था।
तो मैं जानना चाहता हूँ कि आप पानी भी पीते हैं तो पानी की प्रकृति होती है कि वो भी याद रखती है, वो दो चीजें। तो जो पानी में चीज़ें हैं, अगर दूषित हों, तो वो चीज़ें — दूषित इन द सेंस (अर्थ में) में कि गंदा हो मतलब वो।
दूषित बोलने का अर्थ है कि पानी का मतलब वो ग़लत आदमी उसको छू दिया हो मतलब वो, ऐसा नहीं कि उसमें कीटाणु हों मतलब। उसको पाप इन द सेंस बोलते हैं, तो वो चीज़ें आपके अन्दर आ जाएगी या आपका कोई खाना बना रहा हो दूषित विचार वाला, तो वह आपके अन्दर आ जाएगा।
आचार्य प्रशांत: ये अंधविश्वास है और इन्हीं अन्धविश्वासों के कारण आदमी ने बहुत दुख झेले हैं। जिन भी (लोगों) ने तुम्हें यह बता दिया है कि पानी में भी मेमोरी होती है, वो स्वयं भी अन्धविश्वासी हैं, नासमझ हैं और बहुत बड़ा नुक़सान कर रहे हैं दुनिया का, दुनिया में अंधविश्वास-ही-अंधविश्वास फैला-फैलाकर।
पानी पानी होता है, शुद्ध है तो है। ऐसी ही बातों पर चलकर के भारत में ये कुप्रथा चलती थी कि फ़लानी जाति के हाथ का पानी नहीं पीएँगे। क्यों? क्योंकि उसने छू दिया है तो पानी दूषित हो गया होगा। अरे! पानी पानी है, एचटूओ (पानी का रासायनिक नाम) है। कोई उसको स्पर्श कर रहा हो — इसको मैं स्पर्श करूँ (पानी से भरे गिलास को दिखाकर ऊँगली डालने का संकेत करते हुए), चाहे तुम — मैं ऊँगली डालने की बात नहीं कर रहा हूँ, मैं पानी के पात्र की बात कर रहा हूँ। ऊँगली डाल दोगे तो फ़र्क़ आ जाएगा।
लेकिन पानी के पात्र को कोई उठाये कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है उससे। इसी तरीके से पृथ्वी भर का जो पानी है — कहीं का हो — वो भाप बनकर बादल बनता है। कौन-कौन सा पानी भाप बन रहा है? पृथ्वी भर का पानी भाप बन रहा है। पृथ्वी भर का पानी।
एक मरा हुआ कुत्ता, कोई जीव, कोई सुअर पड़ा है। उसकी देह का पानी भाप बन रहा है न? धूप पड़ रही है, भाप बन रहा है। वही पानी कहाँ पहुँचा? बादलों में। वही पानी बरसा हिमालय पर गंगोत्री बना और उसी से बह गयी गंगा। अब तुम कहोगे क्या कि पानी में भी मेमोरी होती है, तो गंगा में सुअर का पानी है? तो गंगा भी दूषित है। ऐसा कहते हो क्या?
गंगोत्री से जो जल आ रहा है, वो अमृत समान है न, बिलकुल पवित्र है न? और वो कहाँ-कहाँ से आ रहा है, बताओ मुझको? बाहर कीचड़ पड़ा हुआ है, वह कीचड़ सूखता कैसे है? बारिश होती है, कीचड़ बन जाता है। फिर वह कीचड़ सूख कैसे जाता है? चलो कुछ पानी तो ज़मीन ने पी लिया और बाक़ी पानी का क्या हुआ? वो भाप बन गया। वो भाप कहाँ गयी? बादल में गयी और बादल से जो जल बरसता है, वो शुद्धतम पानी होता है, वो रिफाइंड (परिष्कृत) और डिस्टिल्ड वाटर (आसुत जल) होता है।
या तुम ऐसा कहते हो कि ये तो गंदी जगह से आ रहा है पानी, तो ये गंदा है? वही पानी, मैं कह रहा हूँ, हिमशिखर बनता है, वही पानी यमनोत्री, गंगोत्री बनता है। वही सब नदियों का जल है। वही पवित्रतम जल है। बेकार की बात की। पानी पानी में भेद बना दिया।
शरीर याद रखता है। शरीर याद रखता है क्योंकि शरीर के पास पदार्थ है, जो बदल जाता है। डीएनए में बदलाव आ जाता है। इसी बदलाव को मेमोरी (स्मृति) बोलते हैं। पानी के अणु-परमाणु बदलते ही नहीं हैं, यहाँ का पानी लोगे, वहाँ का पानी लो, वो बिलकुल एक है। पर यहाँ का डीएनए लो और वहाँ का डीएनए लो, वो अलग-अलग हैं।
तो इसीलिए डीएनए याद रख सकता है। मेमोराइजेशन (स्मृति) का मतलब ही होता है बदलाव। मेमोराइजेशन का क्या मतलब होता है? बदलाव। अब ये है (मिनी वॉइस रिकॉर्डर दिखाते हुए) — मैं जो कुछ बोल रहा हूँ — ये उसको याद रख रहा है। मेमोरी है न इसकी। वो मेमोरी कैसे काम कर रही है, जानते हो? इसके हार्डवेयर में ही कुछ बदलाव आ जा रहा है।
मैं जितना बोल रहा हूँ, इसके भीतर कोई भौतिक बदलाव आ रहा है। मेमोरी का मतलब ही है कि भौतिक रूप से कुछ बदल गया। जितना तुम्हारा मस्तिष्क ज्ञान और सूचना इकट्ठी करता है, उतना तुम्हारा मस्तिष्क भौतिक रूप से ही बदल जाता है। प्रयोगशाला में दर्शाया जा सकता है कि देखो ज्ञान और सूचना पाने से पहले तुम्हारा मस्तिष्क ऐसा था। स्क्रीन (पटल) पर दिखाई देगा और सूचना पाने के बाद देखो बदलाव आ गया, स्क्रीन पर दिखाई देगा।
इसमें भी वही हो रहा है (मिनी वॉइस रिकॉर्डर पुनः दिखाते हुए)। इसमें इलेक्ट्रॉनिक तल पर बदलाव हो रहें है। और इलेक्ट्रॉन क्या है? पदार्थ। इसके भीतर भी मटिरीअल चेंजेज (पदार्थ परिवर्तन) हो रहे हैं जैसे-जैसे ये मेरी बात को मेमोराइज (स्मरण) कर रहा है। पानी में नहीं होते भाई। पानी पानी है, कहीं का हो। हाँ, तुम उसमें अशुद्धियाँ मिला दो, तो अलग बात है। वो अशुद्धियाँ भी क्या हैं? वो भी पदार्थ है, वह भी मटिरीअल (पदार्थ) है। पदार्थ से पदार्थ मिलेगा तो दोनों ही पदार्थों को कह सकते हो कि दूषित हो गये।
पानी में तेल मिला दो, तो पानी भी दूषित हो गया और तेल भी दूषित हो गया। दो अलग-अलग चीज़ें थीं, दो अलग पदार्थ थे, वो मिल गये। पानी में मिलावट हो गयी हो किसी पदार्थ की, तो अलग बात है। कोई मिलावट नहीं हुई है, बस तुम उसके अतीत के आधार पर बोलो कि चूँकि यह पानी वहाँ से आ रहा है, इसीलिए इस पानी को याद है कि ये कहाँ से आ रहा है, तो यह बहुत मूर्खता की बात है। बिलकुल रूढ़ियाँ और अंधविश्वास फैलाने की बात है।
इस देश ने धर्म और अध्यात्म के नाम पर अन्धविश्वासों को बहुत बर्दाश्त किया है और इसीलिए ये देश इतना पीछे रह गया। जो कुछ भी भौतिक है, उसके बारे में विज्ञान से पूछो। अध्यात्म का काम अहम् का विगलन है। पदार्थ का विश्लेषण विज्ञान का काम है।
धर्म का और गुरुओं का और अध्यात्म का क्या काम है? अहंकार का विगलन। इसके अलावा उनका कोई क्षेत्र नहीं। इधर-उधर की वो बात करें अगर, तो बस बातूनी हैं। आदमी के मूल अहंकार की बात करो, आदमी के मूल दुख की बात करो। मद, माया, मोह, भ्रम की बात करो। विज्ञान को समझते नहीं, पदार्थ को जानते नहीं, वहाँ पतंगें मत उड़ाओ।
तो डीएनए का मेमोरी रखना और पानी का मेमोरी रखना, ये दोनों बहुत अलग-अलग बात है। डीएनए सब व्यक्तियों का अलग-अलग होता है। इसीलिए उसमें क्या होती है? मेमोरी। ये जो उसका भेद है, भिन्नता है, यही तो मेमोरी है।
तुम्हारें पास भी भूरे रंग की सैंट्रो गाड़ी है और तुम्हारे पास भी भूरे रंग की सेंट्रो गाड़ी है (बारी-बारी से दो श्रोताओं की तरफ़ संकेत करके)। और दोनों में ही अभी नंबर नहीं डला हुआ है। दोनों अगल-बगल खड़ी हैं। कैसे पहचानोगे अपनी-अपनी गाड़ी? इसकी गाड़ी में (एक श्रोता की तरफ़ संकेत करते हुए) बाएँ दरवाजे पर खरोंच लगी है। ये मेमोरी कहलाती है। जो अलग होता है दूसरे से, वहीं दूसरे से तुम्हारा भेद होता है, वहीं मेमोरी कहलाता है।
सब भेद मेमोरी के ही कारण हैं। कुछ हुआ था अतीत में, जिसके कारण गाड़ी पर क्या लग गई? खरोंच। यही तो स्मृति है कि अतीत का निशान अभी भी बाक़ी है। अब इसी के कारण इसमें और इसमें भिन्नता हो गयी। इसकी गाड़ी और इसकी गाड़ी अलग-अलग हो गयीं। अब तुम पहचान लोगे ये मेरी है, ये मेरी है।
अतीत की जो घटना अभी भी अपना असर दिखा रही हो, उसको कहते हैं मेमोरी। अतीत जो बीत कर भी न बीता हो, उसको कहते हैं मेमोरी। अतीत जो अपनी छाप छोड़ गया हो, खरोंच छोड़ गया, उसको कहते हैं स्मृति। डीएनए पर वो खरोंच पड़ती है।
डीएनए सबका अलग-अलग होता है। जैसे इसकी और इसकी गाड़ी अलग-अलग, वैसे ही डीएनए, सबका अलग-अलग। लेकिन पानी का मॉलिक्यूल (अणु) एचटूओ भारत का हो कि पाकिस्तान का हो, गंगा का हो कि कावेरी का हो, घर का हो कि कुएँ का हो, समुद्र का हो कि बादल का हो, बिलकुल एक-सा होता है। उसमें कोई भेद नहीं होता।
हाँ, उसमें कुछ तुम मिला दो, तो भेद हो जाएगा, कहीं का पानी खारा हो जाएगा, कहीं का मीठा हो जाएगा। कहीं के पानी में हो सकता है कुछ औषधियाँ मिली हों, कहीं के पानी में कुछ रसायन मिले हों। वो फिर अलग बात है, पर पानी नहीं बदलता। कोई कहे कि पानी बदल गया है, पानी नहीं बदलता। समझ में आ रही है बात?