अगर यही बात है कि काम चुनना है कि, “काम क्या करें?” वह काम चुनो जिसमें तुम सबसे कमज़ोर हो। लेकिन अगर ऐसा काम चुनोगो तो तनख्वाह भी कम मिलेगी तो अधिकांश लोग वह काम चुनते हैं जिसको बोलते हैं, ‘मेरी स्ट्रेंथ (शक्ति)।‘ जबकि आध्यात्मिक दृष्टि से देखो तो तुम्हें वह काम चुनना चाहिए जिसका नाता तुम्हारी दुर्बलता से हो।
काम ऐसा होना चाहिए जो तुम्हें तोड़ कर रख दे, काम वह नहीं होना चाहिए जो तुमको सुख देदे और तुमको मोटा कर दे; काम वह चाहिए जो तुम्हारे कमज़ोर हिस्सों पर बार-बार चोट करे और तुम्हें बदलने को मजबूर कर दे।
कोमल हो, बहुत नरम, मुलायम – जैसी होती हैं स्त्रियाँ, भावुक, संवेदनशील – तो काम वह करो जिसमें कठोर होना पड़ता हो; काम होगा ही तभी जब तुम बदलोगे। और यही तो वर्क (काम) का उद्देश्य है कि हम अपनी सब कमज़ोरियों को पीछे छोड़ते चले, ठीक करते चले। मज़बूत आदमी अपनी ही कमज़ोरी को खुल्लम-खुल्ला चुनौती देता है और कमज़ोर आदमी अपनी कमज़ोरी को खूब छुपाता है।