कर ही लो शादी || नीम लड्डू

Acharya Prashant

1 min
66 reads
कर ही लो शादी || नीम लड्डू

हज़ार में से नौ-सौ-निन्यानवे लोगों के पास कोई ऐसा ऊँचा लक्ष्य, मकसद नहीं होता जिसको वह अपनी ज़िंदगी क़ुर्बान कर सकें, तो उनको शादी कर लेनी चाहिए। क्योंकि शादी नहीं करेंगे तो बड़ा उपद्रव करेंगे। उनके मन में ये शिक़ायत रह जाएगी कि, “बाकी दुनिया को तो कुछ खास मिल गया, हम ही चूक गए!”

बहुत लोग होते हैं जिन्होंने शादी नहीं की होती और फिर पछता रहे होते हैं। कुछ आदर्शों के मारे, कुछ अकड़ के मारे कह देते हैं कि, ‘नहीं करेंगे!’ बात थोड़ी क्रांति की लगती है, लगता है कि ‘विद्रोही’ कहलाएँ, कि, “अरे! विवेकानंद ने तो नहीं करी थी न, रमण महर्षि ने तो नहीं करी थी न, तो हम काहे को कर रहे हैं?”

गड़बड़ हो जाती है, कौवा चला हंस की चाल। उन्होंने नहीं करी थी तो उनके पास फिर जीवन को जीने के लिए एक ऊँचा ध्येय भी था, तुम्हारे पास जीवन जीने के लिए कोई ऊँचा ध्येय तो कुछ है नहीं।

GET UPDATES
Receive handpicked articles, quotes and videos of Acharya Prashant regularly.
OR
Subscribe
View All Articles