सफलता ऐसे नहीं देखी जा सकती कि कौन कहाँ पहुँचा। सफलता ऐसे नापिए कि किसने कितनी चुनौतियों का सामना किया आगे बढ़ने के लिए। व्हाट आर द ऑड्स (चुनौतियाँ क्या थीं), बाधाएँ क्या थी? तुम जितना भी आगे बढ़े हो, उतना आगे बढ़ने के लिए तुमने कितना जीता है, कितना श्रम किया है, तुम जितना भी आगे बढ़े हो उतना आगे बढ़ने के लिए तुमने किसको परास्त करा है, मेहनत कितनी लगी है तुम्हें, तुम्हारा रास्ता कठिन और कंटकाकीर्ण कितना था। यह चीज़ तय करेगी कि तुम सफल कितने कहलाओगे।
नियम है कि *मेजर सक्सेस अगेंस्ट द ऑड्स*। अपने-आप से भी यही पूछा करो, “जो कुछ मैंने पाया है, कितनी चुनौतियों को हरा कर पाया है?” और अगर चुनौतियों को हराए बिना पा लिया है, तो बेकार है! आपके भीतर जो कुछ ऐसा है जो ख़त्म होना चाहिए, लक्ष्य बनाओ जो उसे ख़त्म ही कर दें।