जीवन बदलेगा! जान तो लगाओ! || नीम लड्डू

Acharya Prashant

2 min
110 reads
जीवन बदलेगा! जान तो लगाओ! || नीम लड्डू

मैं इंदिरापुरम की ओर से निकल रहा था, तीन-चार साल पहले की बात है। अचानक मेरी गाड़ी के सामने दौड़ता हुआ एक मुर्गा आ गया। वो छूट कर भागा, वो सड़क की तरफ़ आ गया कि, ‘गाड़ी से कुचल कर मर जाऊँगा तो मर जाऊँगा, पर इसके साथ रहना मंज़ूर नहीं है!’ मैंने ब्रेक मारा, वो बच गया। पीछे से उसका कसाई आया, उसने उसको उठा लिया और ले गया। मैं गाड़ी लेकर थोड़ा आगे बढ़ा, फिर मैंने कहा, "नहीं, लौटना पड़ेगा।"

मैं लौटा। मेरा पहला अनुभव था किसी मुर्गे को छूने का, वो था भी ख़तरनाक। जीतू नाम रखा था हमने उसका। उसी दिन कट गया होता, नहीं बचना था उसको, पर उसने कुछ ऐसा करा जो ज़रा अलग था। जितनी भी उसमें जान थी उसने वो जान दिखाई।

तुम बहुत ज़्यादा नहीं कर सकते पर जितना कर सकते हो उतनी तो हिम्मत दिखाओ न। हिम्मत-ए-मुर्गा, मदद-ए-ख़ुदा! जीतू ने अपना भविष्य सोचा था क्या? तो भविष्य की नहीं सोचनी है, वर्तमान के खिलाफ़ विद्रोह करना है। जो भविष्य की सोचते हैं उनका वर्तमान वैसे ही चलता रहता है जैसा चल रहा है।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
Comments
LIVE Sessions
Experience Transformation Everyday from the Convenience of your Home
Live Bhagavad Gita Sessions with Acharya Prashant
Categories