जीवन में लाएँ उत्कृष्टता! || आचार्य प्रशांत (2019)

Acharya Prashant

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जीवन में लाएँ उत्कृष्टता! || आचार्य प्रशांत (2019)

आचार्य प्रशांत: तुम जो कुछ भी कर रहे हो, उसमें तुम अपनी सीमाओं को और अपने बंधनों को चुनौती दो, और आगे-ही-आगे बढ़ो; ऐश्वर्य फिर उत्कृष्टता का ही दूसरा नाम हुआ। किसका दूसरा नाम हुआ? उत्कृष्टता, एक्सीलेंस का।

सुन रहे हो तो सुनने का ऐश्वर्य क्या है? समझना। एक श्रोता का ऐश्वर्य क्या हुआ? बोध। कि ऐसा सुना, ऐसा सुना कि समझ गये, यह ऐश्वर्य है। और ऐसा देखा, ऐसा देखा कि दर्शन हो गये। तो देखने का ऐश्वर्य क्या है? दर्शन। जीने का ऐश्वर्य क्या हुआ? मुक्ति।

प्रेम का ऐश्वर्य क्या हुआ? योग। या कह लो कि प्रेम का ऐश्वर्य है, जो ऊँचे-से-ऊँचा हो सकता है उसको चाहना। प्रेम का ऐश्वर्य है कि जो उच्चतम सम्भव है दिल तो हमारा उस पर आया है। किसी नीचे वाले से नैन नहीं लड़ा लेंगे, यह ऐश्वर्य है। सैनिक का ऐश्वर्य क्या हुआ? जीत जाना? शहीद हो जाना? न विजय न वीरगति, सैनिक का ऐश्वर्य है उच्चतम संग्राम में जूझ जाना।

बात समझ में आ रही है?

कि लड़ तो रहे ही हैं, सबसे ऊँची लड़ाई लड़ेंगे, यह ऐश्वर्य है। दुकानदार का, विक्रेता का ऐश्वर्य क्या है? बेच तो रहे ही हैं, सबसे ऊँची चीज़ बेचेंगे, यह ऐश्वर्य है। या फिर बेच तो रहे ही हैं जो उच्चतम मुनाफ़ा कमा सकते हैं बेचकर, वह कमाएँगे, यह भी ऐश्वर्य है। या फिर बेच तो रहे ही हैं, क्यों न बेचते-बेचते ख़ुद भी बिक जाएँ, यह भी ऐश्वर्य है।

लोग वह सब बेचते हैं जो उनके पास है। हमने कुछ ऐसा बेचा कि ख़ुद को ही बेच आये, यह ऐश्वर्य है। कमाने का ऐश्वर्य क्या है? लोग कमाते हैं, सब ज़्यादा ही ज़्यादा कमाना चाहते हैं; 'थोड़ा और मिल जाए, थोड़ा और मिल जाये।' हमने वो कमा लिया जो कमा के और कमाने की चाहत ख़त्म हो जाती है, यह ऐश्वर्य है।

रुकने का ऐश्वर्य क्या है? कि रुके हुए हैं पर जो दौड़ रहे हैं उनसे आगे निकल गये। दौड़ने का ऐश्वर्य क्या है? ऐसा दौड़े, ऐसा दौड़े कि अब दौड़ने की ज़रूरत ही नहीं रही। पाने का ऐश्वर्य क्या है? इतना पाया कि पाना छूट गया। छोड़ने का ऐश्वर्य क्या है? सब छोड़ दिया कि सब पा लिया।

अब आया समझ में? यही ऐश्वर्य है।

समझ गए तो ऐश्वर्य है!

YouTube Link: https://www.youtube.com/watch?v=QLfaEDAMd40

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