ये जो तुमको ताक़त दी जाती है जवानी में, ये इसलिए है कि इसका इस्तेमाल कर लो और उड़ जाओ। इस्तेमाल नहीं करोगे तो सज़ा ये मिलेगी कि अस्सी साल जीयोगे। अस्सी साल जीने से ज़्यादा भयानक कोई सज़ा हो सकती है? अस्सी चुसे हुए साल और हर बीतते साल के साथ तुम्हारी शक्ल और चुस्ती जा रही है। संसार तुमको चूस रहा है। तुम रसहीन होते जा रहे हो।
कई बार घरों में जन्मोत्सव वगैरह होता है, और गुब्बारा लगा देते हैं और वो टंगा हुआ है। हफ़्तेभर बाद देखा तो बिलकुल पिचकी हालत में नज़र आया। यही अधिकांश लोगों के साथ बुढ़ापे में होता है। बुढ़ापा आ जाता है, मौत आ जाती है, मुक्ति नहीं आती।
ये उसको सज़ा मिल रही है। तूने क्यों भरसक प्रयत्न करके आज़ादी नहीं पायी? इसीलिए ख़ूब जमकर काम करना है। जल्दी-जल्दी काम करना है। जो ये नहीं करेंगे उनको सज़ा ये मिलेगी – आज़ादी तो नहीं ही मिलेगी, गुब्बारा और पिचक जाएगा।