जलन की आग से बचना है? || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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जलन की आग से बचना है? || नीम लड्डू

तुलना तो तुम्हें करनी ही है; इनसे क्या तुलना कर रहे हो, अपने दफ़्तर के लोगों से तुलना करते हो, वो सब तुम्हारे ही जैसे हैं।

ये क्या तुलना कर रहे हो कि, “मेरे पास आल्टो है, दूसरे के पास डिज़ायर है”, कि, “मेरे पास डिज़ायर है और दूसरे के पास ऑडी है”, कि, “मेरे पास ऑडी है, दूसरे के पास पर्सनल जेट है।“

तुलना करनी है तो किससे करोगे?

जो स्वस्थ हैं, मैं कह रहा हूँ जो स्वस्थ हैं, उनसे तुलना करो न। बुद्धों-महावीरों से तुलना करो।

फिर तुम ये सब बातें ही भूल जाओगे – फ़ास्ट फॉरवर्ड , गो अहेड , बेटर लाइफ , बेटर मैन , इम्प्रूवमेंट ...

तुलना अगर छोड़नी है, तो फिर कह रहा हूँ, किसी सिद्दार्थ गौतम को पकड़ लेना और उससे तुलना करना।

तुम्हारे पास जो कुछ है उससे हज़ार गुना था सिद्दार्थ गौतम के पास, और उसने ये कहा कि, “ये तो रखने ही लायक नहीं है!” या उसने ये कहा कि, “बगल की रियासत का जो राजकुमार है, उससे अपनी तुलना कर लूँ”? और, “यह जो मेरी बीवी है, इसकी तुलना बगल की राजकुमारी से, कि बगल की रानी से कर दूँ”? यह सब कर रहा था क्या वो?

उसने कुछ और देखा। जब कुछ और देखोगे तो तुलना से छूट जाओगे।

जब तक तुम अपने-आप को यह छोटा सा, मिट्टी का ढेला मान रहे हो न, तब तक परेशान ही रहोगे।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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